राम राज्य होता तो अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों को कड़ी सजा मिलती
Bhagwan Ram: प्रजा ने राजा दशरथ से कहा कि हे राजा, तुम्हारे पुत्र राम वास्तव में हमारे अगले राजा बनने के योग्य हैं। वे हम सभी के साथ एक पिता के सामान व्यवहार करते हैं

Ram Rajya: मैं राम को प्राचीन संपूर्ण भारत का (जिसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल हैं ) महान पूर्वज मानता हूं। आज कुछ धर्मांध लोगों के कारण राम को भारत में उत्पीड़क या अत्याचारी माना जाता है, लेकिन क्या वह वास्तव में ऐसे थे? सत्य इसके विपरीत है।
वाल्मीकि रामायण (जो संस्कृत में मूल रामायण है, शायद 2500 साल पहले लिखी गई थी) में उल्लेख है कि जब अयोध्या के राजा दशरथ बूढ़े हो गए, तो उनका इरादा अपने सबसे बड़े पुत्र राम को सिंहासन सौंपना था। लेकिन, ऐसा करने से पहले उन्होंने अयोध्या के नागरिकों को आमंत्रित किया और उनसे उनकी राय पूछी कि क्या राम उनके अगले राजा बनने के लायक हैं?
नागरिकों ने उत्तर दिया:
“ निखिलेनानु पूर्व्या च पिता पुत्रान इव औरसान
सुश्रूषन्ते च व शिष्या कचित वर्मसु दंषिताः
इति वः पुरुष व्याग्रह सदा रामोभिभाषते
व्यसनेषु मनुष्यणां भृशम भवति दुखितः
उत्सवेषु च सर्वेषु पितेव परितुष्यति
अर्थात।
“हे राजा, तुम्हारे पुत्र राम वास्तव में हमारे अगले राजा बनने के योग्य हैं। वे हम सभी के साथ एक पिता के सामान व्यवहार करते हैं। वह हमारे दुखों में हमारे साथ दुखी होते हैं , और हमारे साथ एक पिता की तरह हमारे सुखों में आनन्दित भी होते हैं जब भी हम त्योहार मनाते हैं। ”
इस प्रकार, एक अत्याचारी से पूर्णतः विपरीत , राम लोगों के लिए एक पिता की तरह थे।
एक अच्छा पिता अपने सभी बच्चों की देखभाल करता है। वह ऐसा कोई भेदभाव नहीं करता कि दूसरों का उत्पीड़न करते हुए केवल कुछ का ही ध्यान रखे। यदि राम आज भारत के राजा होते तो वे न केवल हिंदुओं, बल्कि मुसलमानों , सिखों, ईसाईयों और अन्य लोगों का भी ध्यान रखते, और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों को कड़ी सजा देते ।
श्री राम का यह मधुर जाप सुनें-
(लेखक सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं। यहां लिखे विचार उनके निजी हैं।)