इसीलिए यह पुण्य पावन स्थान ब्रह्मा कुंड हरि की पैड़ी और हर की पैड़ी के नाम से विख्यात है। हरिद्वार तीर्थ नगरी गंगा धाम कहलाती है जब गोमुख से गंगा जी हिमालय की पर्वत मालाओं से होती हुई हरिद्वार क्षेत्र में मैदान में पहुंचीं और ब्रह्मकुंड में आर्इं तो वहां पर ब्रह्मा,विष्णु और महेश तीनों ने गंगा को एक साथ संयुक्त रूप से आशीर्वाद दिया।
मान्यता है कि जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा जी हरिद्वार के ब्रह्मकुंड में पहुंची थी और तब से यहां पर गंगा दशहरे का महापर्व मनाया जाता है और इस दिन गंगा में स्रान का विशेष महत्त्व है गंगा दशहरे के दिन गंगा में स्नान करने से श्रद्धालुओं को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और मां गंगा का संयुक्त आशीर्वाद मिलता है। गंगा भक्तों को जीवन में 10 पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है।
हरि की पैड़ी ही वह पुण्य पवित्र स्थान है, जहां समुद्र मंथन के समय निकले अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं, तब से हरिद्वार की हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड में हर 12 साल बाद कुंभ का मेला होता है। मान्यता है कि वैदिक काल में इसी ‘हरि की पैड़ी’ पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव एक साथ प्रकट हुए थे और ब्रह्माजी ने यहां यज्ञ भी किया था। यहां पर जो यज्ञ कुंड बना था, वहां पर गंगा जी प्रकट हुई थीं और यह स्थान ब्रह्मकुंड के नाम से प्रसिद्ध है। गंगा ब्रह्मा के कमंडल से निकलकर भगवान विष्णु के चरण का स्पर्श करते हुए शिव की जटाओं से होकर पृथ्वी में अवतरित हुर्इं और तीनों लोको आकाश, पृथ्वी और पाताल से होती हुईं गंगासागर में समुद्र में विलीन हो गईं।
विष्णु पादाब्ज सम्भूते, गंगे त्रिपथगामिनी
धर्मद्रवेति विख्याते, पापं मे हर जाह्नवी
यानी गंगा भगवान विष्णु के चरणों से होती हुईं शिव की जटाओं से निकलकर आकाश, पृथ्वी और पाताल में प्रवाहित होती हैं और गंगा इस तरह त्रिपथ गामिनी हैं और गंगा द्रव्य के रूप में धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए बहती हैं। पापों का हरण करती हैं। गंगा विष्णु के प्रति भक्ति भाव रखती हैं। विष्णु की पूजा करती हैं। अपने भक्तों का जन्म से मरण तक किए गए पापों से रक्षा करती हैं। मान्यता है कि स्वर्ग, अंतरिक्ष और पृथ्वी में 35 करोड़ तीर्थ हैं और गंगा इन सभी तीर्थों को पुण्य पवित्र करती हैं। इसीलिए गंगा का नाम देवों में नन्दिनी और नलिनी भी है गंगा के अन्य नाम नाम दक्षा, पृथ्वी, विहगा, विश्वकाया, अमृता, शिवा, विद्याधरी, सुप्रशांता, शांतिप्रदायिनी भी है इसीलिए धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि गंगा तव दर्शनात् मुक्ति। अर्थात गंगा के दर्शन मात्र से ही मुक्ति मिलती है।
हर की पैड़ी की प्रबंध कारिणी की संस्था श्री गंगा सभा के अध्यक्ष पंडित प्रदीप झा बताते हैं कि पूरे विश्व में यह ऐसा अकेला स्थान है जहां पर गंगा तट में ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गंगा की कृपा और आशीर्वाद एक साथ प्राप्त होते हैं। हर की पेडी ब्रह्मकुंड में रोजाना शाम को गंगा की भव्य आरती की जाती है जो आकर्षण का प्रमुख केंद्र है और गंगा जी के जन्मदिन गंगा सप्तमी और गंगा दशहरे के दिन यहां पर गंगा का विशेष अभिषेक किया जाता है, इसीलिए हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड में स्रान करने वाले श्रद्धालुओं को ब्रह्मा ,विष्णु, महेश के तीनों के लोको में पावन पवित्र स्थान मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।