वैदिक धर्म का अर्थ जो धर्म वेदों के अनुरूप हो, उसे सनातन धर्म भी कहते हैं। सनातन का अर्थ है शाश्वत अर्थात हमेशा बने रहने वाला। जिसका न आदि है न अंत है। जो सृष्टि के आरंभ से ही है। सनातन धर्म में जीव की अपनी आस्था को केंद्रित करने व भावनात्मक रूप से ईश्वरीय सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ने के लिए मूर्ति पूजा का महत्व दर्शाया गया है। सृष्टि को सुचारू रूप से चलायमान रखने वाले 33 कोटि (प्रकार) के देवता हैं। जिनमें ब्रह्म सृष्टि की रचना करते हैं।
विष्णु सृष्टि का पालन करते हैं।

विष्णु चतुर्भुज हैं। उनकी चार भुजायें हैं। जिनमें शंख, सुदर्शन चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए हैं। क्या हमने कभी चिंतन किया कि विष्णु मूर्ति के ये चिन्ह किस गुण के प्रतीक हैं और हमें क्या शिक्षा देते हैं? आइए जानते हैं…

भगवान विष्णु द्वारा धारण किया गया शंख नाद (ध्वनि) का प्रतीक है। शंख ध्वनि ओम ध्वनि के समान ही मानी गई है। यह नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करके सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। यह ध्वनि शिक्षा देती है कि ऐसा ही नाद हमारी देह में है आत्म नाद, जिसे आत्मा कि आवाज कहते हैं। यह हर अच्छे बुरे कर्म से पहले हमारे भीतर गुंजायमान होता है। यदि हम भीतर के इस नाद को सुनकर कर्म करें तो जीवन बहुत सहज और सरल होता है। शंख जीव को आत्मा से जुड़ने व अन्तर्मुखी होने की शिक्षा का प्रतीक है।

शंख बजाने के वैज्ञानिक लाभ

शंख बजाने वाले मनुष्य के फेफड़े सुचारू रूप से कार्य करते हैं और स्मरण, श्रवण शक्ति, मुख का तेज बढता है।

चक्र: सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का अमोघ अस्त्र है। जो दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। सर्वहित शुभ मार्ग पर चलते हुए दृढ़ संकल्पित जीव अपने लक्ष्य को भेदने में सदा विजयी होता है। चक्र शिक्षा देता है की जीव को दूरदर्शी व दृढ़ संकल्प रखने वाला होना चाहिए।

पद्म (कमल पुष्प) सत्यता, एकाग्रता, अनासक्ति का प्रतीक है। जिस प्रकार कमल पुष्प कीचड़ में रहकर भी स्वयं को निर्लेप रखता है, ठीक वैसे ही जीव को संसार रूपी माया रूप कीचड़ में रहते हुए स्वयं को निर्लेप रखना चाहिए। अर्थात संसार में रहें किंतु संसार को अपने भीतर न आने दें। कमल मोह से मुक्त होने व ईश्वरीय चेतना से जुड़ने की शिक्षा देता है। कीचड़ कमल के अस्तित्व की मात्र जरूरत है, वैसे ही संसारिक पदार्थ मनुष्य की जरूरत भर हैं।

गदा: ईश्वर की अनन्त शक्ति, बल का प्रतीक है। कर्मों के अनुसार ईश्वर जीव को दंड प्रदान करते हैं। यह ईश्वरीय न्याय प्रणाली को दर्शाता है।

साध्वी कमल वैष्णव

(लेखिका वैष्णव परंपरा के रामानंदी संप्रदाय से संबंध रखती हैं)