Margashirsha Maas: मार्गशीर्ष मास का शास्त्रों में विशेष महत्व है। इस मास कई प्रमुख त्योहार और व्रत पड़ते हैं। मार्गशीर्ष मास आज यानि 9 नवम्बर से शुरू हो चुका है। इस मास को पूजा-पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह माह भगवान कृष्ण को बेहद प्रिय है और इसी मान्यता है कि इस महीने भगवान श्री कृष्ण की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को राम-सीता का विवाह हुआ था, जिसे विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं इस महीने क्या करना चाहिए और क्या नहीं…
1- भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि मार्गशीर्षोऽधिकस्तस्मात्सर्वदा च मम प्रियः ।।उषस्युत्थाय यो मर्त्यः स्नानं विधिवदाचरेत् ।। तुष्टोऽहं तस्य यच्छामि स्वात्मानमपि पुत्रक ।। इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि यह मास मुझे बेहद प्रिय है। साथ ही उन्होंने कहा है कि जो मनुष्य सुबह उठकर स्नान, ध्यान और भजन करता है। उस पर सदा मेरी कृपा होती है। इसलिए मार्गशीर्ष के महीने में भगवान श्री कृष्ण की पूजा- अर्चना करनी चाहिए।
2- पंचांग अनुसार मार्गशीर्ष में सप्तमी और अष्टमी तिथियों को मासशून्य तिथियां माना गया है। इन तिथियों को कोई भी शुभ और मंगल कार्य करने से बचना चाहिए। अगर आप इन तिथियों में कोई शुभ काम करते हैं तो वह काम असफल हो सकता है।
3- इस मास में पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। अगर संभव हो तो रोज श्रीमद् भागवत कथा, गजेन्द्रमोक्ष और विष्णुसहस्त्र नाम का पाठ करना चाहिए और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय महामंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा आपको मिल सकती है।
4- अगहन के इस महीने जीरे का सेवन करने से बचना चाहिए।
5- शास्त्रों के अनुसार इस महीने किसी जरूरतंद या ब्राह्राण को सामर्थ्य पूर्वक चांदी का दान कर सकते हैं।
6- शास्त्रों में मार्गशीर्ष के माह में शंख की पूजा का विधान बताया गया है। इसिलए इस मास पूजा करते समय शंख में गंगाजल डालें और पूजा के बाद उस जल का छिड़काव पूरे घर में कर दें। ऐसा करने से घर की नकारात्मकता से छुटकारा मिल सकता है।