Mahashivratri 2020: जानिए क्यों खास होगी इस बार की महाशिवरात्रि, तारीखों को लेकर न हों कन्फ्यूज
Maha Shivratri 2020 Date And Time: इस बार महाशिवरात्रि के दिन कई तरह के शुभ संयोग बन रहे हैं। करीब 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बनने जा रहा है। महाशिवरात्रि पर शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में तो शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में मौजूद रहेंगे।

Maha Shivratri 2020 Date: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। साल में आने वाली सभी शिवरात्रियों में से इस शिवरात्रि का खास महत्व माना गया है। इस साल महाशिवरात्रि शुक्रवार, 21 फरवरी को मनाई जायेगी। क्योंकि इसी दिन शाम 5 बजकर 20 मिनट के बाद से चतुर्दशी तिथि लग जा रही है और शिवरात्रि की पूजा रात में ही की जाती है। इस लिहाज से 21 फरवरी को ही ये पर्व मनाना उचित रहेगा।
क्यों खास है इस बार की महाशिवरात्रि: इस बार महाशिवरात्रि के दिन कई तरह के शुभ संयोग बन रहे हैं। करीब 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बनने जा रहा है। महाशिवरात्रि पर शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में तो शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में मौजूद रहेंगे। इससे पहले साल 1903 में ऐसा संयोग बना था। इसके अलावा शनि और चंद्रमा मिलकर शश योग बना रहे हैं। इस संयोग में शिव की पूजा अर्चना करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि पर सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है जिसमें शिव-पार्वती की पूजा श्रेष्ठ रहेगी।
महाशिवरात्रि की डेट और शुभ मुहूर्त (Maha Shivratri 2020 Date And Muhurat)
महा शिवरात्रि शुक्रवार, फरवरी 21, 2020 को
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – फरवरी 21, 2020 को 05:20 पी एम बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त – फरवरी 22, 2020 को 07:02 पी एम बजे
निशिता काल पूजा समय – 12:09 ए एम से 01:00 ए एम, फरवरी 22
अवधि – 00 घण्टे 51 मिनट्स
22 फरवरी को, शिवरात्रि पारण समय – 06:54 ए एम से 03:25 पी एम
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – 06:15 पी एम से 09:25 पी एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – 09:25 पी एम से 12:34 ए एम, फरवरी 22
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 12:34 ए एम से 03:44 ए एम, फरवरी 22
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 03:44 ए एम से 06:54 ए एम, फरवरी 22
इसलिए खास है महाशिवरात्रि: शास्त्रों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। जिसके संबंध में एक बड़ी ही रोचक कथा प्रचलित है, जो इस प्रकार है…
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी और सभी देवी देवता भी यही चाहते थे कि पर्वत राजकन्या पार्वती का विवाह शिव से हो जाए। देवताओं ने देवी पार्वती से विवाह का प्रस्ताव लेकर कन्दर्प को भगवान शिव के पास भेजा, जिसे शिव ने ठुकरा दिया और उसे अपनी तीसरी आंख से भस्म कर दिया। देवी पार्वती ने तो भोलेनाथ को अपना पति मान ही लिया था। पार्वती ने शिव को अपना वर बनाने के लिए कठोर तपस्या शुरू की। उनकी तपस्या से सभी जगह हाहाकार मच गया। बड़े बड़े पर्वतों की नींव भी डगमगाने लगी। तब शिव ने अपनी आंख खोली और पार्वती से कहा कि वो किसी राजकुमार से शादी कर लें। क्योंकि उनके साथ रहना सरल नहीं हैं।
मगर पार्वती ने कहां कि अगर वो विवाह करेंगी तो सिर्फ शिव से ही करेंगी। पार्वती का प्रेम देख शिव उनसे विवाह करने के लिए तैयार हो गए। शिव जब पार्वती से विवाह करने गए तब उनके साथ भूत प्रेत और आत्माएं भी साथ में गई। जब शिव की अनोखी बारात पार्वती के घर पहुंची तब सभी देवता हैरान हो गए। मां पार्वती भी भोलेनाथ की बारात देखकर डर गईं। शिव को इस विचित्र रूप में पार्वती की मां स्वीकार नहीं कर पाईं और उन्होंने अपनी बेटी का हाथ देने से मना कर दिया।
वही स्थितियां बिगड़ती देख मां पार्वती ने शिव से प्रार्थना की कि वो उनके रीति रिवाजों के मुताबिक तैयार होकर आएंं शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और सभी देवताओं को फरमान दिया कि वो उनको खूबसूरत से तैयार करें। ये सुन सभी देवता हरकत में आ गए और उन्हें तैयार करने में जुट गए। शिव को दैवीय जल से नहलाया गया और शेशम के पुष्पों से सजाया गया। जब शिव इस दिव्य रूप में पहुंचे तो पार्वती की मां ने उन्हें तुरंत ही स्वीकार कर लिया और ब्रह्मा जी की उपस्थिति में विवाह समारोह आरंभ हो गया। मां पार्वती और भोलेनाथ ने एक दूसरे को वर माला पहनाई और ये विवाह संपन्न हुआ।
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