Natraj Stuti Benefits: वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए रत्न, मंत्र और यंत्र का वर्णन मिलता है। वहीं कुछ मंत्रों के पाठ से भगवान भी प्रसन्न होते हैं। जिससे ग्रहों का अशुभ प्रभाव व्यक्ति के ऊपर काफी कम पड़ता है। यहांं हम बात करने जा रहे हैं नटराज स्तुति पाठ के बारे में, जिसका संबंध भगवान शिव से है। नटराज दो शब्दों से बना है, पहला नट अर्थात कला व दूसरा राज। यह भगवान शिव की संपूर्ण कलाओं को दर्शाता हैं। शास्त्रों में भगवान शिव के नटराज स्वरूप का वर्णन मिलता है। आपको बता दें कि नटराज स्तुति का पाठ बेहद असरदार है। इसका प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामाएं पूर्ण होती है। साथ ही उसको आरोग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं नटराज स्तुति करने के नियम और महत्व…
ऐसे करें नटराज स्तुति पाठ
नटराज स्तुति का पाठ सोमवार से शुरू करना चाहिए या मास की शिवरात्रि से भी शुरू कर सकते हैं। वहीं प्रतिदिन सुबह स्नान करके। भगवान नटराज की मूर्ति या चित्र के आगे करना चाहिए।
जानिए नटराज स्तुति का महत्व
नृत्य कलाकार नटराज को अपना इष्ट देव मानते हैं। साथ ही जो लोग कलाकार हैं, उन लोगों को नटराज स्तुति का पाठ जरूर करना चाहिए। इसका पाठ करने से भोलेनाथ की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है। साथ ही इसका पाठ करने से जीवन में सुख- समृद्धि बनी रहने की मान्यता है। साथ ही मनुष्य को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। साथ ही उसके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस स्त्रोत के पाठ से व्यक्ति को ग्रहों के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है। क्योंकि भगवान शिव का सभी ग्रहों पर आधिपत्य माना जाता है। वहीं चंद्रमा तो भोलेनाथ के सिर पर विराजित हैं। इसलिए नटराज स्तुति का पाठ करने से ग्रह के अशुभ दोषों से मुक्ति मिलती है।
संपूर्ण नटराज स्तुति पाठ
सत सृष्टि तांडव रचयिता
नटराज राज नमो नमः…
हेआद्य गुरु शंकर पिता
नटराज राज नमो नमः…
गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्माडना
नित होत नाद प्रचंडना
नटराज राज नमो नमः…
शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां
विषनाग माला कंठ मां
नटराज राज नमो नमः…
तवशक्ति वामांगे स्थिता हे चंद्रिका अपराजिता
चहु वेद गाए संहिता