जानिए कौन थे अश्वथामा, जिन्हें भगवान कृष्ण ने दिया था शाप
ऐसा जिक्र मिलता है कि दोर्णाचार्य महाभारत युद्ध में पांडवों के पक्ष में युद्ध करना चाहते थे। लेकिन पुत्रप्रेम के चलते उन्हें कौरवों के पक्ष में लड़ना पड़ा।

अश्वथामा की इन दिनों काफी चर्चा हो रही है। इसकी एक वजह है यह भी है कि वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ में अश्वथामा का जिक्र आया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अश्वथामा कौन थे? और भगवगान श्री कृष्ण ने उन्हें क्यों और क्या शाप दिया था? यदि नहीं तो हम आपको अश्वथामा के बारे में सारी जानकारी देने जा रहे हैं। मालूम हो कि अश्वथामा का संबंध महाभारत से है। बताते हैं कि अश्वथामा गुरु दोर्णाचार्य और कृपी के पुत्र थे। ऐसा कहा जाता है कि दोर्णाचार्य को अश्वथामा से बहुत ही प्रेम था। ऐसा भी जिक्र मिलता है कि दोर्णाचार्य महाभारत युद्ध में पांडवों के पक्ष में युद्ध करना चाहते थे। लेकिन पुत्रप्रेम के चलते उन्हें कौरवों के पक्ष में लड़ना पड़ा।
कहते हैं कि महाभारत युद्ध में दोर्णाचार्य के युद्ध कौशल के आगे पांडवों की सेना कमजोर पड़ती जा रही थी। ऐसे में कृष्ण जी ने एक योजना तैयार की। इस योजना के मुताबिक भीम ने अश्वथामा नाम के एक हाथी की वध कर दिया। इसके बाद युधिष्ठिर ने दोर्णाचार्य से अश्वथामा के मारे जाने की खबर दी। इस झूठी खबर को सुनने के बाद दोर्णाचार्य अस्त्र-शस्त्र त्यागकर समाधिष्ट होकर बैठ गए। इस पर द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्र ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद अश्वथामा ने दुर्योधन को वचन दिया कि वह अपने पिता की मौत का बदला लेकर रहेगा।
बताते हैं दुर्योधन की पराजय के बाद अश्वथामा ने बचे हुए कौरवों की सेना के साथ रात में पांडवों के शिविर पर हमला बोल दिया। इस हमले में पांडव सेना के कई योद्धा मारे गए। इसके अलावा अश्वथामा ने धृष्टद्युम और उसके भाईयों तथा द्रौपदी के पांचों पुत्रों की हत्या कर दी। इसके उपरांत श्री कृष्ण और अर्जुन ने योजनाबद्ध तरीके से अश्वथामा को पकड़ने में सफलता पाई। कहते हैं कि अश्वथामा को रस्सी में बांधकर द्रौपदी के सामने लाया गया। लेकिन यहां पर द्रौपदी को दया आ गई और उन्होंने अश्वथामा को बंधनमुक्त करने के लिए कहा। बताते हैं कि अश्वथामा के कायराना हमले पर श्री कृष्ण ने उसे शाप दिया। अश्वथामा के शाप मिला कि वह अपनी मौत की तलाश में सदैव भटकता रहेगा लेकिन उसे मौत की प्राप्ति नहीं होगी। माना जाता है कि अश्वथामा आज भी जिंदा है।