Panchak Kaal And Disha Shool: ज्योतिष शास्त्र में पंचक और दिशाशूल का विशेष महत्व बताया गया है। क्योंकि जब भी कोई शुभ कार्य शुरू किया जाता है। उसमें पंचक और दिशाशूल का विचार किया जाता है। वहीं पंचकों और दिशाशूल में यात्रा करने की भी मनाही होती है। पंचक पांच प्रकार की होती हैं। आपको बता दें कि पंचकों और दिशाशूल में कई बार यात्रा करनी पड़ जाती है। उसके लिए आपको क्या उपाय करने चाहिए। जिससे पंचक और दिशाशूल का दोष भंग हो सके। आइए जानते हैं दिशाशूल में यात्रा क्यों नहीं करते हैं और उपाय…
पांच प्रकार ही होती हैं पंचक
रविवार के दिन जो पंचक शुरू होती हैं उनको रोग पंचक कहा गया हैं। वहीं सोमवार को आरंभ होने वाली पंचक को शास्त्रों में राज पंचक कहलाती हैं। मंगलवार के दिन शुरू होने वाली पंचक को अन्नि पंचक कहा जाता है। साथ ही बुधवार और गुरुवार के दिन लगने वाली पंचक को दोष मुक्त पंचक माना गया है। मतलब इन दिनों पंचक का प्रभाव नहीं होता है। वहीं शुक्रवार के दिन होने वाले पंचक काल चोर पंचक कहते हैं। साथ ही शनिवार के दिन होने वाले पंचक काल को मृत्यु पंचक कहा गया है। इसमें चोर अन्नि पंचक को सबसे अशुभ माना गया है।
पंचक और दिशाशूल में क्यों नहीं करते यात्रा?
ज्योतिष शास्त्र अनुसार पंचक के समय में दक्षिण दिशा में यात्रा करने की मनाही होती है। क्योंकि यह दिशा मृत्यु के देवता यमराज की दिशा होती है। इसलिए आप यदि पंचक और दिशाशूल में कोई शुभ काम या यात्रा की शुरुआत करते हैं। तो आपकी यात्रा में अवरोध आ सकता है। कोई दुर्घटना हो सकती है।
जानिए दिन के अनुसार दिशाशूल और इससे बचने के उपाय
- सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा में दिशा शूल माना जाता है। इसलिए अगर मजबूरी में यात्रा करनी पड़ जाए तो सोमवार को दर्पण देखकर और शनिवार को अदरक और उड़द की दाल खाकर यात्रा पर जाएं। जिससे दिशाशूल का दोष भंग हो सके।
- मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है। वहीं अगर कोई मजबूरी में यात्रा करनी पड़ जाए तो मंगलवार को घर से थोड़ा सा गुड़ खाकर निकलें। वहीं बुधवार को तिल और धनिया खाकर निकलें।
- गुरुवार को दक्षिण दिशा में दिशा शूल माना जाता है। इसलिए दही खाकर घर से बाहर जाएं।
- शुक्रवार और रविवार को पश्चिम दिशा और दक्षिण-पश्चिम कोण में दिशा शूल होता है। इसलिए अगर इन दिन यात्रा कर रहे हैं तो शुक्रवार को जौ खाकर यात्रा के लिए निकलें। वहीं रविवार को दलिया या फिर घी खाकर यात्रा के लिए जाएं। जिससे दिशाशूल का दोष खत्म हो सके।