Kartik Purnima 2020 Puja Vidhi, Vrat Vidhi, Muhurat, Samagri: ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक इस साल कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर, सोमवार को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है। यह कार्तिक मास का आखिरी दिन होता है। जिस तरह पूरे कार्तिक मास को परम पावन माना गया है उसी तरह कार्तिक पूर्णिमा को भी बहुत खास माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत विधि (Kartik Purnima Vrat Vidhi)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें।
एक चौकी लें। उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर लक्ष्मीनारायण भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर ईश्वर का ध्यान करते हुए पूजा करें।
फिर पूरा दिन सत्कर्म करते हुए व्यतीत करें।
ध्यान रहे कि हिंसात्मक गतिविधियां ना करें और ना ही अभद्र भाषा का इस्तेमाल करें।
संभव हो तो ईश्वर का नाम या मंत्र जाप करें।
फिर शाम होने पर संध्या आरती कर फलों का भोग श्री लक्ष्मी नारायण को लगाएं।
इसके बाद प्रसाद बांटें और स्वयं भी प्रसाद खाकर व्रत संपन्न करें।
कार्तिक पूर्णिमा पूजा शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima Puja Shubh Muhurat)
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 29 नवंबर, रविवार को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 30 नवंबर, सोमवार को दोपहर 03 बजे तक।
कार्तिक पूर्णिमा संध्या पूजा का मुहूर्त – 30 नवंबर, सोमवार – शाम 5 बजकर 13 मिनट से शाम 5 बजकर 37 मिनट तक।
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि (Kartik Purnima Puja Vidhi)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। अगर संभव ना हो तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। इसके बाद भगवान लक्ष्मी नारायण की अर्चना करें और उनके समक्ष दीपक जलाकर विधिपूर्वक पूजा करें।
साथ ही आप घर में हवन कर सकते हैं और फिर भगवान सत्यनारायण की कथा कहें या सुनें। अब उन्हें खीर और फलों का भोग लगाकर प्रसाद बांटें। शाम को भगवान लक्ष्मी नारायण की आरती करने के बाद तुलसी जी की आरती भी करें और दीपदान करें। घर की चौखट पर दीपक जलाएं।
कार्तिक पूर्णिमा मंत्र (Kartik Purnima Mantra)
ॐ सों सोमाय नम:।
ॐ विष्णवे नमः।
ॐ कार्तिकेय नमः।
ॐ वृंदाय नमः।
ॐ केशवाय नमः।