Jyeshta Month 2020: शुरू होने जा रहा है ज्येष्ठ महीना, जानिए इस दौरान क्या करें और क्या नहीं
इस महीने की शुरुआत में नारद जयंती मनाई जाती है जो इस बार 08 मई को पड़ी है। इसके अलावा अपरा एकादशी, गंगा दशहरा (Ganga Dussehra), शनि जयंती (Shani Jayanti), वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat), निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) और ज्येष्ठ अमावस्या इस माह के प्रमुख त्योहार है।

Jyeshta Month: ज्येष्ठ माह की शुरुआत इस साल 08 मई से हो रही है और इसकी समाप्ति 05 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन होगी। जिस दिन चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) लगेगा। इस महीने में भीष्ण गर्मी पड़ती है। हमारे ऋषि-मुनियों ने ज्येष्ठ में जल का बहुत अधिक महत्व माना है। इसलिए जल को समर्पित त्योहार इस महीने में मनाये जाते हैं। इस महीने के शुक्ल पक्ष में जल के महत्व को बताने वाले दो प्रमुख त्योहार गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी पड़ते हैं।
कैसे पड़ा महीने का नाम ज्येष्ठ? हिंदू पंचांग के अनुसार ये साल का तीसरा महीना होता है। जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मई और जून के महीने में पड़ता है। ज्येष्ठ माह का नाम ज्येष्ठा नक्षत्र पर आधारित है। मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में होता है इसी कारण इस महीने का नाम ज्येष्ठ रखा गया है।
ज्येष्ठ माह के व्रत और त्योहार: इस महीने की शुरुआत में नारद जयंती मनाई जाती है जो इस बार 08 मई को पड़ी है। इसके अलावा अपरा एकादशी, शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और ज्येष्ठ अमावस्या इस माह के प्रमुख त्योहार है। अपरा एकादशी 18 मई को तो शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और ज्येष्ठ अमावस्या 22 मई को मनाई जायेगी। गंगा दशहरा 1 जून को, गायत्री जयंती और निर्जला एकादशी 2 जून तो पूर्णिमा व्रत 5 जून को रखा जायेगा। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है।
ज्येष्ठ माह में क्या करें और क्या नहीं?
– इस माह में दिन में सोना अच्छा नहीं माना जाता। एक कहावत अनुसार ज्येष्ठ के महीने में दिन में सोने से व्यक्ति रोगी बनता है। साथ ही इस माह में दोपहर में चलना भी मना होता है। क्योंकि इस समय सूर्य का प्रकाश काफी तेज होता है जिस कारण धूप में चलने से व्यक्ति बीमार हो सकता है।
– इस महीने में बैंगन नहीं खाया जाता। कहा जाता है कि जिनकी सबसे बड़ी संतान जीवित हों उन्हें बैंगन खाने से बचना चाहिए। इससे संतान को कष्ट मिलता है।
– इस महीने में सबसे बड़े पुत्र और सबसे बड़ी पुत्री का विवाह नहीं किया जाता। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस महीने इनका विवाह करने से वैवाहिक जीवन में अनेक कष्ट भोगने पड़ते हैं।
– महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है-“ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।” अर्थात ज्येष्ठ के महीने में जो व्यक्ति एक समय भोजन करता है वह धनवान होता है। इसलिए कहा गया है कि ज्येष्ठ के महीने में संभव हो तो एक समय भोजन करना चाहिए।
– इस महीने में तिल का दान करना काफी फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि ऐसा करने से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
– ये महीना हनुमानजी की पूजा के लिए भी काफी शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इसी महीने में हनुमानजी की मुलाकात अपने प्रभु श्रीराम से हुई थी। इस माह में बड़ा मंगलवार भी मनाया जाता है।