Rajyog: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि कुंडली में 1, 4 वें, 7 वें और 10 वें घर में या मकर और कुंभ राशि में स्थित हो, तो शश योग बनता है। यह एक प्रकार का राजयोग है। साथ ही शनि तुला राशि में होने पर भी यह योग शुभ फल देता है। ग्रहों की शुभ या अशुभ स्थिति को देखने से व्यक्ति के कष्ट, धन, कीर्ति आदि का बोध होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दिव्य योग उस व्यक्ति में बनता है, जिसकी कुण्डली में गुरु अपनी ही राशि यानि धनु या मीन या अपनी उच्च राशि के केंद्र में हो। आमतौर पर यह योग मेष, तुला, मकर और कर्क राशियों में बनता है। जिन लोगों की कुंडली में यह योग होता है वे चरित्रवान और नेक दिमाग वाले होते हैं। ऐसे लोगों का जीवन सुखी होता है। आइए जानते हैं इन सभी योगों के बारे में विस्तार से…
दिव्य योग (Divya Yog)
दिव्य योग उस व्यक्ति में बनता है जिसका गुरु स्वराशी यानी धनु या मीन राशि में या अपनी उच्च राशि के केंद्र में हो। आमतौर पर यह योग मेष, तुला, मकर और कर्क राशि में बनता है।
शश योग (Shash Yog)
यदि कुंडली में शनि पहले, चौथे, सातवें, दसवें भाव में या मकर और कुम्भ में हो तो शश योग बनता है। यह एक प्रकार का राजयोग है। साथ ही शनि तुला राशि में होने पर भी यह योग शुभ फल देता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग बनता है वह जीवन में धनवान होता है। मेष, वृष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर और कुंभ राशि में जन्म लेने वाले लोगों की कुंडली में इस योग के बनने की संभावना अधिक होती है।
रुचक योग (Ruchak Yog)
यदि मंगल केंद्र में हो अर्थात पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में या मकर और मेष राशि में हो तो दिलचस्प योग बनता है। जिन लोगों की कुंडली में यह योग बनता है, वे साहसी और शक्तिशाली होते हैं। साथ ही ऐसे लोग कुशल वक्ता भी होते हैं। इसके अलावा ऐसे लोगों को जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं। रुचक योग को राज योग की श्रेणी में रखा गया है। साथ ही ऐसे लोग कुशल वक्ता भी होते हैं।
कुंडली में ये गुण आपको बना सकते हैं अमीर
- यदि बुध कन्या राशि में और मिथुन 5 वें घर में हो और शुभ ग्रह हों, तो मंगल का चंद्रमा के साथ शुभ स्थिति में होना व्यक्ति को बहुत समृद्ध बनाता है।
- कुंडली के पंचम भाव में यदि बृहस्पति की राशि धनु या मीन हो, गुरु उसमें हो और शुभ भाव में बुध चंद्रमा के साथ हो तो जातक धनवान होता है।
- पंचम भाव में शनि यदि कुम्भ या मकर हो, साथ में शुभ शनि भी हो तो जातक अधिक धनवान होता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति गरीब, दरिद्र होता है यदि लग्न या चंद्रमा, केतु की युति हो, आठवें घर में हो या गोचर कर रहा हो।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में दशम भाव का स्वामी वृष या तुला राशि में हो और शुक्र सप्तम भाव का स्वामी हो तो ऐसे लोग भाग्यशाली माने जाते हैं। ऐसे लोगों की कुंडली में दशम-सप्तम योग बनता है।