मनुष्य को रत्नों का चुनाव बहुत ही सावधानी से करना चाहिए। रत्न केवल शोभा बढ़ाने का साधन नहीं है बल्कि उनमें अलौलिक शक्ति का समावेश होता है। साथ ही रत्नों में मानव को सुखमय, उल्लासपूर्ण बनाने की अप्रतिम क्षमता है। वहीं देखा गया है कि कुछ लोग नाम राशि के अनुसार रत्न धारण कर लेते हैं जो कि गलत है। आपको बता दें कि मनुष्य को जन्मकुंडली के पूर्ण विश्लेषण के बाद ही रत्न धारण करना चाहिए। वहीं कभी भी मारक, बाधक, नीच या अशुभ ग्रह का रत्न धारण नहीं करना चाहिए। रत्न हमेशा शुभ ग्रह यदि अस्त है या निर्बल है तो उसका धारण करना चाहिए। ताकि उस ग्रह के प्रभाव को बढ़ाकर शुभ फलों में बढ़ोतरी की जा सके।
ज्योतिष शास्त्र में 84 रत्न और उपरत्नों का उल्लेख मिलता है, जिनमें नौ ही रत्न ऐसे हैं जिन्हें नवरत्नों की संज्ञा दी गई है। ये नवरत्न इस प्रकार है – माणिक्य, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया। वहीं आज हम बात करने जा रहे हैं माणिक्य रत्न के बारे में. जो सूर्य ग्रह का रत्न है। भगवान सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है, इन्हीं के प्रताप से मानव जीवन का विकास होता है। वहीं कुंडली में अगर सूर्य देव कमजोर अवस्था में हो तो मनुष्य को माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए।
माणिक्य पहनने से इन रोगों से मिलती है मुक्ति
माणिक्य पहनकर सूर्य उपासना करने से सूर्य की पूजा का फल दोगुना हो जाता है। साथ ही माणिक्य धारण करन से सूर्य प्रभावित रोग( ह्रदय रोग, आंख के रोग, पित्त विकार) रोगों से मुक्ति मिलती है। (यह भी पढ़ें – पंचक में भूलकर भी ना करें ये कार्य, नहीं तो सकती है हानि)
किन लोगों को माणिक्य धारण करना चाहिए ?
-मेष, सिंह और धनु लग्न के जातक माणिक्य धारण कर सकते हैं।
-कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न में माणिक्य साधारण परिणाम देता है।
-अगर जातक को ह्रदय और नेत्र रोग है तो भी वह माणिक्य धारण कर सकता है।
-अगर धन भाव, दशम भाव, नवम भाव, पंचम भाव, एकादश भाव में सूर्य उच्च के स्थित हैं तो भी माणिक्य धारण कर सकते हैं।
किन लोगों को माणिक्य नहीं धारण करना चाहिए?
-कन्या, मकर, मिथुन, तुला और कुम्भ लग्न के जातकों को माणिक्य धारण करना नुंकसानदायक साबित हो सकता है।
-जन्मकुंडली में सूर्य ग्रह नीच का स्थित है तो भी माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए।
-जो मनुष्य शनि और राहु ग्रह से संबंधित व्यापार कर रहे हैं उन्हें भी माणिक्य धारण करने से बचना चाहिए।
माणिक्य धारण करने की विधि:
-माणिक्य गुलाबी या लाल रंग का अच्छा माना जाता है।
-माणिक्य का वजन कम से कम 6 से सवा 7 रत्ती का होना चाहिए।
-तांबा या सोने के धातु में माणिक्य को धारण करना सबसे शुभ माना जाता है।
-सूर्योदय होने के एक घंटे बाद माणिक्य रत्न को धारण करें।
-माणिक्य धारण करने से पहिले अंगूठी को गाय के दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें। उसके बाद मंदिर के सामने बैठकर एक माला सूर्य देव के मंत्र ऊं सूर्याय नम: का जाप करें और फिर अंगूठी को धारण करें।