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Gemology: खूनी नीलम पहनने से इन राशि के लोगों का चमक सकता है भाग्य, जानिए धारण करने की सही विधि

रत्न विज्ञान के अनुसार खूनी नीलम शनि और मंगल ग्रह की युति के लिए धारण किया जाता है। मान्यता है खूनी नीलम अपना असर तुरंत दिखाता है।

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इन 4 राशि के लोग धारण कर सकते हैं खूनी नीलम- (जनसत्ता)

शास्त्र के अनुसार रत्नों में अलौलिक शक्तियां होती हैं यदि रत्न सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण किए जाएं, तो उनका सकारात्मक प्रभाव जरूर प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र में खूनी नीलम शनि- मंगल ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माना जाता है। यानी कि यह रत्‍न एक साथ 2 ग्रहों पर असर डालता है। आइये जानते हैं खूनी नीलम पहनने के फायदे और इसे कैसे धारण करना चाहिए…

फर्श से अर्श पर पहुंचा देता है खूनी नीलम 

‘खूनी नीलम’ का शाब्दिक अर्थ खून जैसे रंग वाला नीलम, लेकिन इसे ब्‍लू नीलम भी कहते हैं। नीलमणि जैसे रंग के नीलम में गहरे गुलाबी या खून जैसे लाल रंग के धब्‍बे होते हैं, उसे ही खूनी नीलम कहा जाता है। खूनी नीलम को रक्‍तांबरी नीलम भी कहा जाता है। यह रत्‍न बहुत ताकतवर होता है यदि शुभ साबित हो तो अपार सफलता देता है लेकिन अशुभ हो तो नकारात्मक प्रभाव भी देता है।

कौन धारण कर सकता है खूनी नीलम:

  • यदि आपकी जन्मकुंडली में वृश्चिक लग्न और मकर राशि हो मंगल छठे आठवें या बारहवें स्थान में हो खूनी नीलम धारण कर सकते हैं।
  • मेष राशि और मकर लग्न हो शनि में मंगल की महादशा चल रही हो तब भी खूनी नीलम पहन सकते हैं।
  • वृषभ लग्न और वृश्चिक राशि हो या वृषभ लग्न और मेष राशि हो तब भी खूनी नीलम धारण कर सकते हैं।
  • मेष लग्न और मेष राशि हो मंगल निर्बल हो और शनि अच्छे स्थानों में स्थित हो तब भी ब्लू नीलम पहन सकते हैं।
  • अगर किसी व्यक्ति की कुंभ लग्न और मेष राशि या मेष लग्न और कुंभ राशि हो, तब भी खूनी नीलम धारण कर सकता है।
  • मकर लग्न और मकर ही राशि हो मंगल चौथे 8 में 12वें घर में विराजमान हो और शनि इन स्थानों में ना हो, तब भी ब्लू नीलम धारण किया जा सकता है।
  • यदि मंगल और शनि दोनों जन्मकुंडली में उच्च के स्थित हों तब भी खूनी नीलम धारण कर सकते हैं।

ऐसे करें धारण 

खूनी नीलम या ब्‍लू नीलम को सोने की बजाय प्लेटिनम या पंच धातू में धारण करना चाहिए। साथ ही इसे उस हाथ में पहनना चाहिए, जिस हाथ से व्‍यक्ति काम करना हो। यानी कि जो लोग बाएं हाथ से काम करते हों तो वे बाएं हाथ में ही इसे धारण करें। इसे बाएं या दाएं हाथ की बीच की उंगली (मध्यमा) में पहना जाता है। इसे पहनने के लिए किसी भी महीने के कृष्‍ण पक्ष का शनिवार शाम का समय अच्‍छा रहेगा।

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First published on: 08-01-2022 at 16:32 IST
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