गरुड़ पुराण से जानिए कैसे निकलते हैं शरीर से प्राण और क्या होता है मृत्यु के बाद
Life After Death According To Garud Puran: गरुड़ पुराण में ऐसा वर्णन मिलता है कि यमराज के दूत आत्मा को यमलोक तक ले जाते हुए डराते हैं और उसे नरक में मिलने वाले दुखों के बारे में बताते हैं। यमदूतों की ऐसी बातें सुनकर आत्मा जोर-जोर से रोने लगती है।

Garuda Purana: अधिकतर लोगों ने गरुड़ पुराण के बारे में सुना होगा। गरुड़ पुराण वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित है। सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद इसके श्रवण का प्रावधान है। इस पुराण के देवता भगवान विष्णु हैं। गरुड़ पुराण के दो भाग हैं- पूर्वखण्ड तथा उत्तरखण्ड। पहले भाग में भगवान विष्णु की भक्ति का उल्लेख किया गया है और दूसरे भाग में प्रेत कल्प का विस्तार से वर्णन किया गया है। यानि इसमें मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होगी और उसका किस प्रकार की योनियों में जन्म होगा इन सब बातों की जानकारी दी गई है।
गरुड़ पुराण के अनुसार जिस समय मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है वह बोलने की कोशिश करता है लेकिन बोल नहीं पाता है। कुछ समय में उसकी बोलने, सुनने आदि की शक्ति नष्ट हो जाती हैं। उस समय शरीर से अंगूठे के बराबर आत्मा निकलती है, जिसे यमदूत पकड़ यमलोक ले जाते हैं। गरुड़ पुराण में ऐसा वर्णन मिलता है कि यमराज के दूत आत्मा को यमलोक तक ले जाते हुए डराते हैं और उसे नरक में मिलने वाले दुखों के बारे में बताते हैं। यमदूतों की ऐसी बातें सुनकर आत्मा जोर-जोर से रोने लगती है।
यमलोक तक जाने का रास्ता बड़ा ही कठिन माना जाता है। जब जीवात्मा तपती हवा और गर्म बालू पर चल नहीं पाती और भूख-प्यास से व्याकुल हो जाती है। तब यमदूत उसकी पीठ पर चाबुक मारते हुए उसे आगे बढ़ने के लिए कहते हैं। वह आत्मा जगह-जगह गिरती है और कभी बेहोश हो जाती है। फिर वो उठ कर आगे की ओर बढ़ने लगती है। इस प्रकार यमदूत जीवात्मा को यमलोक ले जाते हैं। इसके बाद उस आत्मा को उसके कर्मों के हिसाब से सजा देना निश्चित होता है। इसके बाद वह जीवात्मा यमराज की आज्ञा से फिर से अपने घर आती है।
कहा जाता है कि घर आकर वह जीवात्मा अपने शरीर में फिर से प्रवेश करना चाहती है लेकिन यमदूत उसे अपने बंधन से मुक्त नहीं करते और भूख-प्यास के कारण आत्मा रोने लगती है। इसके बाद जब उस आत्मा के पुत्र आदि परिजन अगर पिंडदान नहीं देते तो वह प्रेत बन जाती है और सुनसान जंगलों में लंबे समय तक भटकती रहती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मनुष्य की मृत्यु के बाद 10 दिन तक पिंडदान अवश्य करना चाहिए। यह भी पढ़ें- जानिए, कैसे हुई गरुड़ की उत्पत्ति और किस प्रकार बना यह विष्णु का वाहन
यमदूतों द्वारा तेरहवें दिन फिर से आत्मा को पकड़ लिया जाता है। इसके बाद वह भूख-प्यास से तड़पती 47 दिन तक लगातार चलकर यमलोक पहुंचती है। गरुड़ पुराण अनुसार बुरे कर्म करने वाले लोगों को नर्क में कड़ी सजा दी जाती है। जैसे लोहे के जलते हुए तीर से इन्हें बींधा जाता है। लोहे के नुकीले तीर में पाप करने वालों को पिरोया जाता है। कई आत्माओं को लोहे की बड़ी चट्टान के नीचे दबाकर सजा दी जाती है। किस आत्मा को क्या सजा मिलनी है ये उसके कर्म निश्चित करते है। यह भी पढ़ें- गरुड़ पुराण की इन बातों को अपनाकर आप कभी नहीं होंगे परेशान