- Happy Guru Gobind Singh Jayanti 2019 Wishes Images, Quotes: गुरु गोबिंद सिंह जयंती पर इन संदेशों, एसएमएस व तस्वीरों से दे सकते हैं दोस्त-यारों को शुभकामनाएं
- Guru Gobind Singh Jayanti 2019: सिखों के अंतिम गुरु थे गोबिंद सिंह, जानिए गुरुपर्व का क्या है महत्व
- Happy Guru Gobind Singh Jayanti 2019 Wishes Images, Quotes, Messages: गुरु गोबिंद सिंह की कही ये बातें आज भी हैं प्रासंगिक, बनाएं प्रेरणास्त्रोत
Ganesh Vinayaka Chaturthi 2018 Vrat Katha, Puja Vidhi, Muhurat, Mantra: इस साल 13 सितंबर(बृहस्पतिवार) को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। यह त्यौहार भारत के एक बड़े हिस्से में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में गणेश की प्रतिमा स्थापित करके उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश चतुर्थी पर व्रत कथा का पाठ करने का भी विधान है। हम आपको गणेश चतुर्थी की व्रत कथा बता रहे हैं। आप इसका पाठ करके गणेश जी को आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं।
व्रत कथा: शिव पुराण में कथा इससे अलग है। इसके मुताबिक माता पार्वती ने अपने शरीर पर हल्दी लगाई थी। इसके बाद जब उन्होंने अपने शरीर से हल्दी उतारी तो उससे उन्होंने एक पुतला बना दिया। पुतले में बाद में उन्होंने प्राण डाल दिए। इस तरह से विनायक पैदा हुए थे। इसके बाद माता पार्वती ने गणेश को आदेश दिए कि तुम मेरे द्वार पर बैठ जाओ और उसकी रक्षा करो, किसी को भी अंदर नहीं आने देना। कुछ समय बाद शिव जी घर आए तो उन्होंने कहा कि मुझे पार्वती से मिलना है। इस पर गणेश जी ने मना कर दिया और कहा कि खबरदार कोई भी अंदर नहीं जाएगा। शिव जी को नहीं पता था कि ये कौन हैं। इसके बाद दोनों में विवाद हो गया और उस विवाद ने युद्ध का रूप धारण कर लिया। इस दौरान शिव जी ने अपना त्रिशुल निकाला और गणेश का सिर काट डाला।
पार्वती को पता लगा तो वह बाहर आईं और रोने लगीं। उन्होंने शिव जी से कहा कि आपने मेरे बेटा का सिर काट दिया। शिव जी ने पूछा कि ये तुम्हारा बेटा कैसे हो सकता है। इसके बाद पार्वती ने शिव जी को पूरी कथा बताई। हालांकि, पार्वती भड़क जाती हैं और शिवजी पर गुस्सा करने लगती हैं। इसके बाद शिव जी ने पार्वती को मनाते हुए कहा कि ठीक है मैं इसमें प्राण डाल देता हूं, लेकिन प्राण डालने के लिए एक सिर चाहिए। इस पर उन्होंने अपने गणों से कहा कि उत्तर दिशा में जाओ और वहां कोई भी प्राणी मिले उसका सिर ले जाओ। वहां उन्हें भगवान इंद्र का हाथी एरावत मिलता है और वे उसका सिर ले आए। इसके बाद भगवान शिव जी ने गणेश के अंदर प्राण डाल दिए। इस तरह श्रीगणेश को हाथी का सिर लगा।