Weekly Vrat Tyohar (05 December To 11 December): फ्यूचर पंचांग अनुसर इस सप्ताह का शुभारंभ मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि और अश्विनी नक्षत्र के साथ हो रहा है। साथ ही इस सप्ताह की शुरुआत सोम प्रदोष व्रत के साथ हो रही हैं। वहीं इस सप्ताह अनंगत्रयोदशी, दत्तात्रेय जयंती, मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत, संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत आदि पड़ रहे हैं। आइए जानते हैं इन त्योहारों और व्रत की तारीख और महत्व…
सोम प्रदोष व्रत: Som Pradosh Vrat (5 दिसंबर, सोमवार)
पंचांग के अनुसार महीने में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है, एक कृष्ण पक्ष में दूसरा कृष्ण पक्ष में। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। साथ ही मान्यता है कि इस व्रत को रखने से महादेव प्रसन्न होते हैं और व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
अनंग त्रयोदशी व्रत Anang Trayodashi 2022 (5 दिसंबर, सोमवार)
पंचांग के अनुसार इस व्रत को मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, कामदेव और रति की उपासना की जाती है। वहीं इस दिन गंगा या किसी सरोवर में स्नान करने का महत्व है। साथ ही मान्यता है कि जब काम देव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी तब कामदेव को भोलेनाथ ने अपने तप से भस्म कर दिया, इसके बाद कामदेव बिना अंग के ही सबके शरीर में वास करने लगे। फिर उसे नष्ट करने के लिये महादेव ने इस व्रत को रखा था। तब से ही यह व्रत रखा जाने लगा। वहीं इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां खत्म होने की मान्यता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा: Margashirsha Purnima 2022 (7 दिसंबर, बुधवार)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 7 दिसंबर को मनाई जाएगी। मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का आरंभ 7 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 02 मिनट पर होगी और अगले दिन 08 दिसंबर 2022 को सुबह 09 बजकर 36 मिनट पर इसका अंत होगा। इस दिन गंगा में स्नान और दान करने का विधान है। साथ ही इस भगवान विष्णु की उपासना की जाती है।
दत्तात्रेय जयंती: Dattatreya Jayanti 2022 (7 दिसंबर, बुधवार)
शास्त्रों के अनुसार दत्तात्रेय का अवतरण मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में हुआ था। इसलिए इसे दत्तात्रेय जयंती कहा जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान दत्तात्रेय में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों की शक्तियों का समावेश माना जाता है।
संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत: Sankashti Chaturthi Vrat 2022: (11 दिसंबर, रविवार)
पंचांग अनुसार कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। वहीं शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है। साथ ही इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यता है।