Falgun (Phagun) Purnima 2020: आज रखा जायेगा फाल्गुन पूर्णिमा व्रत, जानिए व्रत-विधि, मुहूर्त और कथा
Falgun Purnima Vrat Katha: फाल्गुन पुर्णिमा के दिन होलिका दहन (Holika Dahan) भी किया जाता है। वसंत ऋतु में पड़ने के कारण इसे वसंत पूर्णिमा (Vasanta Purnima) कहते हैं। हिन्दू धर्म में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को खास उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।

Falgun (Phagun) Purnima 2020, Puja Vidhi, Vrat Katha: फाल्गुन मास की पूर्णिमा को वसंत पूर्णिमा (Vasant Purnima 2020) कहते हैं। इसी दिन होलिका दहन (Holika Dahan) भी किया जाता है। जिसे छोटी होली के नाम से लोग जानते हैं। पूर्णिमा तिथि हर महीने में पड़ती है। इस दिन लोग व्रत रख भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। लेकिन फाल्गुन मास में आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। जानिए इसकी पूजा विधि, व्रत कथा, होलिका दहन मुहूर्त…
व्रत-विधि (Falgun Purnima Vrat Vidhi): फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नरसिंह की पूजा का विधान है। पूर्णिमा के दिन प्रातकाल उठकर स्नानादि करने के बाद उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुख करके होलिका का पूजन किया जाता है। होलिका दहन से पूर्व अपने आसपास पानी की कुछ बूंदे जरूर छिड़क लें। फिर गाय के गोबर से होलिका बनाएं। पूजा शुरू करने से पहले माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच प्रकार के अनाज में गेहूं की बालियां और साथ में एक लोटा जल अवश्य रख लें। भगवान नरसिंह की प्रार्थना करें और होलिका पर रोली, अक्षत, फूल, बताशे अर्पित करें और मौली को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए लपेटें। तत्पश्चात होलिका पर प्रह्लाद का नाम लेकर पुष्प अर्पित करें। भगवान नरसिंह का नाम लेते हुए 5 अनाज चढ़ाएं। पूजा संपन्न होने के बाद होलिका दहन कर परिक्रमा लगाएं। होलिका की अग्नि में गुलाल डालें और घर के बुजुर्गों के पैरों पर गुलाल लगाकर आशीर्वाद लें।
फाल्गुन पूर्णिमा की कथा (Falgun Purnima Vrat Katha):
फागुन पूर्णिमा के व्रत की वैसे तो अनेक कथाएं हैं लेकिन नारद पुराण में जो कथा दी गई है वह असुर राज हरिण्यकश्यपु की बहन राक्षसी होलिका के दहन की कथा है जो भगवान विष्णु के भक्त व हरिण्यकश्यपु के पुत्र प्रह्लाद को जलाने के लिये अग्नि स्नान करने बैठी थी लेकिन प्रभु की कृपा से होलिका स्वयं ही अग्नि में भस्म हो जाती है। इस प्रकार मान्यता है कि इस दिन लकड़ियों, उपलों आदि को इकट्ठा कर होलिका का निर्माण करना चाहिये व मंत्रोच्चार के साथ शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक होलिका दहन करना चाहिये। जब होलिका की अग्नि तेज होने लगे तो उसकी परिक्रमा करते हुए खुशी का उत्सव मनाना चाहिये और होलिका दहन के साथ भगवान विष्णु व भक्त प्रह्लाद का स्मरण करना चाहिये। असल में होलिका अहंकार व पापकर्मों की प्रतीक भी है इसलिये होलिका में अपने अंहकार व पापकर्मों की आहुति देकर अपने मन को भक्त प्रह्लाद की तरह भगवान के प्रति समर्पित करना चाहिये।
फाल्गुन पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Falgun Purnima/Holika Dahan Time And Muhurat):
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 3:03 (09 मार्च 2020)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 11:17 (09 मार्च 2020)
होलिका दहन – 20:57 से 00:28
भद्रा पूंछ- 09:37 से 10:38 (09 मार्च 2020)
भद्रा मुख- 10:38 से 12:19 (09 मार्च 2020)