आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार रमा एकादशी का व्रत 21 अक्टूबर शुक्रवार को है। नाम से ही बहुतों को पता होगा कि इस एकादशी व्रत का नाम भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी के नाम से जुड़ा है। माता लक्ष्मी को राम के नाम से भी जाना जाता है। रमा एकादशी के अवसर पर भगवान विष्णु का उपवास और उनकी पूजा करने की परंपरा है।
हर साल रमा एकादशी का व्रत दिवाली से चार-पांच दिन पहले मनाया जाता है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, लेकिन उससे पहले आप रमा एकादशी के दिन मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी ले सकते हैं। आइए जानते हैं रमा एकादशी के बारे में-
रमा एकादशी व्रत के लाभ
जो रमा एकादशी का व्रत करता है और पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे धन, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। उन पर लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। रमा एकादशी व्रत की कथा कहती है कि राजकुमारी चंद्रभागा के पति शोभन ने जब रमा एकादशी का व्रत किया तो इस व्रत के पुण्य फल के कारण उन्हें धन, धन, वैभव से परिपूर्ण देवपुर का राज्य प्राप्त हुआ। इसलिए रमा एकादशी का व्रत करने वाला ब्राह्मण सहित सभी पापों से मुक्त हो जाता है। भगवान कृष्ण ने कहा था कि जो रमा एकादशी का व्रत करता है या रमा एकादशी व्रत की कथा सुनता है, उसे मृत्यु के बाद विष्णुलोक में स्थान प्राप्त होता है। वह पापों से मुक्त हो जाता है।
रमा एकादशी 2022 मुहूर्त एवं रमा एकादशी व्रत का समय
- रमा एकादशी व्रत प्रारंभ तिथि: गुरुवार, 20 अक्टूबर, शाम 04:04 बजे से
- रमा एकादशी व्रत की समाप्ति तिथि: 21 अक्टूबर, शुक्रवार, शाम 05:22 बजे तक
- रमा एकादशी का व्रत 22 अक्टूबर को सुबह 06:26 बजे से 08:42 बजे के बीच तोड़ा जा सकता है।
रमा एकादशी पर ब्रह्म-शुक्ल योग और शुक्रवार का संयोग
इस बार रमा एकादशी का व्रत शुक्रवार को है, जो हमेशा देवी लक्ष्मी की पूजा का दिन होता है। इस दिन शुक्ल योग सुबह से शाम 5:48 बजे तक है। तभी से ब्रह्म योग शुरू हो रहा है। ये दोनों योग शुभ माने जाते हैं। शुक्रवार के दिन रमा एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु सहित मां लक्ष्मी की पूजा करें। इससे आपको भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी। रमा एकादशी व्रत के फायदे के साथ-साथ शुक्रवार के व्रत का भी आपको लाभ मिलेगा।