धनतेरस पर खरीदारी करने के शुभ चौघड़िया मुहूर्त जानिए यहां
धनतेरस पर वृषभ लग्न में कुबेर और लक्ष्मी का पूजन श्रेयस्कर होगा। भगवान धन्वंतरि को हिंदू धर्म में देव वैद्य का पद प्राप्त है। लिहाज़ा, उत्तम स्वास्थ्य के लिए धन्वन्तरि पूजन अमृत चौघड़िया, लाभ चौघड़िया, धनु लग्न या कुंभ लग्न में करना चाहिए।

इस वर्ष धनत्रयोदशी का पर्व आकाश मण्डल के बारहवें नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी के आग़ोश में मनाया जाएगा। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी आदि ग्रह सूर्य हैं। लिहाज़ा इस वर्ष का धनतेरस का पर्व नाम, मान, यश, उग्रता, आवेश, देशभक्ति और स्वास्थ्य लेकर आ रहा है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी को ये पर्व मनाया जाता है।
धनतेरस के योग : 25 तारीख़ को सुबह 9 बजकर 23 मिनट के बाद पूरे दिन वैधृति योग रहेगा। उदया तिथि 26 अक्टूबर को है पर धन त्रयोदशी का मान 25 अक्टूबर को ही होगा। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में लक्ष्मी-कुबेर का पूजन, जहां आर्थिक स्थिति के लिए विलक्षण परिणाम प्रदायक होगा, वहीं ये पल आत्मिक उन्नति का भी साक्षी बनेगा। धनत्रयोदशी का आरम्भ 25, 2019 की शाम 6 बजकर 38 मिनट पर होगा। त्रयोदशी 26 अक्टूबर की शाम 3 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। राहु काल प्रातः 10.30 से लगभग 12 बजे तक रहेगा।
धनतेरस की पूजा : धनतेरस पर वृषभ लग्न में कुबेर और लक्ष्मी का पूजन श्रेयस्कर होगा। भगवान धन्वंतरि को हिंदू धर्म में देव वैद्य का पद प्राप्त है। लिहाज़ा, उत्तम स्वास्थ्य के लिए धन्वन्तरि पूजन अमृत चौघड़िया, लाभ चौघड़िया, धनु लग्न या कुंभ लग्न में करना चाहिए। सूर्यास्त के पश्चात अकाल मृत्यु से बचने के लिए घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर 4 बातियों का दीप दान यानि दीप का प्रज्जवलन करना चाहिए। रात्रि में इस दिन आरोग्य के लिए भगवान धन्वन्तरि तथा समृद्धि के लिए कुबेर के साथ लक्ष्मी गणेश का पूजन करके भगवती लक्ष्मी को नैवेद्य में धनिया, गुड़ व धान का लावा अवश्य अर्पित करना चाहिए। रात्रि में ध्यान में प्रविष्ट होकर भजन के द्वारा यानि बाह्य कर्ण बंद कर आत्मा के कानों से ब्रम्हाण्डिय ध्वनियों के श्रवण का अभ्यास आंतरिक व मानसिक बल प्रदान करेगा।
कब क्या ख़रीदें? लक्ष्मी सदैव हिसाब किताब यानी बही खाते में निवास करती हैं। धन त्रयोदशी पर बही खाता यानी पुस्तक खरीदने और उसके पूजन का विशेष महत्व है। बही खाता, चोपड़ा यानी खाता लिखने वाली पुस्तक का क्रय शुभ-चौघड़िया में ही करना चाहिए। धनतेरस पर रजत यानी चांदी ख़रीदना सौभाग्य कारक माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन ख़रीदे हुए रजत में नौ गुने की वृद्धि हो जाती है। ग्रहयोग अगले कुछ वर्षों में चांदी में भारी उछाल का संकेत दे रहे हैं। चांदी के अभाव में ताम्र या अन्य धातुओं का क्रय किया जा सकता है। सोना चांदी और अन्य धातु वृष लग्न में खरीदना चाहिए। कार या बाइक शुभ चौघड़िया, कुंभ लग्न, चर-चौघड़िया या वृषभ-लग्न में क्रय किया जा सकता है। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, शुभ-चौघड़िया, उद्वेग-चौघड़िया और कुंभ लग्न में घर लाना शुभ है। म्यूचूअल फ़ंड और शेयर शुभ चौघड़िया, लाभ चौघड़िया और कुम्भ लग्न में क्रय करना चाहिए। इस दिन हथियार, विस्फोटक सामग्री या अनावश्यक वस्तुयें कदापि नहीं ख़रीदनी चाहिए।
क्या है चौघड़िया? सूर्योदय से सूर्यास्त तथा सूर्यास्त से सूर्योदय के मध्य का काल 30-30 घटी यानी घड़ी में मापा गया है। 30 घटी को अष्ट भाग में बाँटने पर दिन और रात्रि के 8-8 चौघड़िया प्राप्त होते हैं। प्रत्येक चौघड़िया लगभग 4 घटी का होता है, इसलिए इसे चौ अर्थात चार + घड़िया, घटी, या बेला के नाम से जाना जाता है। इसे चतुर्श्तिका भी कहते हैं।
धनतेरस का चौघड़िया :
चर चौघड़िया- 6.32 प्रातः से 7.55 प्रातः
लाभ चौघड़िया- 7.55 प्रातः से 9.18 प्रातः
अमृत चौघड़िया- 9.18 प्रातः से 10.42 प्रातः
काल चौघड़िया- 10.42 प्रातः से 12.05
शुभ चौघड़िया- 12.05 दोपहर से 13.28
रोग चौघड़िया- 13.28 से 14.52
उद्वेग चौघड़िया- 14.52 से 16.15
चर चौघड़िया- 16.15 से 17.38
रोग चौघड़िया- 17.38 से 19.15
काल चौघड़िया- 19.15 से 20.52
लाभ चौघड़िया- 20.52 से 22.29
उद्वेग चौघड़िया- 22.29 से 24.05
अपने शहर की चौघड़िया के लिए कृपया स्थानीय पंचांग देखें।
सदगुरुश्री
(स्वामी आनन्द जी)