Chaitra Navratri Day 8: नवरात्रि के पावन दिन अभी चल रहे हैं और मान्यता है मां दुर्गा इन दिनों पृथ्वी पर विचरण करती हैं। इसलिए लोग अपने- अपने तरीके से मां दुर्गा को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। वहीं अगर इनके स्वरूप की बात करें तो इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। साथ ही जिन लोगों के लिए सप्तम पूजती हैं, वो लोग इस दिन कन्या पूजन करते हैं। अष्टमी तिथि के दिन भगवती को नारियल का भोग लगाना चाहिए। फिर नैवेद्य रूप वह नारियल ब्राह्मण को दे देना चाहिए। आइए जानते हैं महागौरी के मंत्र, स्तुति और भोग…
कन्या पूजन 2023 अष्टमी तिथि (Chaitra Navratri 2023 Ashtami)
तिथि- 29 मार्च
अष्टमी तिथि का आरंभ – 28 मार्च को शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू हो रही
अष्टमी तिथि समाप्त- 29 मार्च को रात 9 बजकर 8 मिनट तक
दुर्गा सप्तशती के अनुसार कन्याओं की आयु 2 वर्ष से ऊपर और 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। आपको बता दें कि दो वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या रोहिणी, छह वर्ष की कन्या कालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी, नौ वर्ष की कन्या दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी जाती है।
महागौरी मंत्र (Mahagauri Mantra)
निचे दिए गए महागौरी मंत्र का 108 बार जाप करें और महागौरी माता की आराधना करें।
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
महागौरी प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
महागौरी स्तुति मंत्र (Mahagauri Stuti Mantra)
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
महागौरी ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
महागौरी स्तोत्र (Mahagauri Stotra)
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
महागौरी कवच मंत्र (Mahagauri Kavach Mantra)
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥