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Chaitra Navratri 2023 Day 6: मां कात्यायनी ने किया था महिषासुर दैत्य का वध, जानें पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग

Chaitra Navratri 2023 Day 6 Mata Katyayani Mantra, Arti, Vrat Katha, Puja Vidhi: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना करने का विधान है। आइए जानते हैं पूजा- विधि, मंत्र और भोग…

Chaitra Navratri 2023, चैत्र नवरात्रि 2023
चैत्र नवरात्र: छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा- (जनसत्ता)

Chaitra Navratri March 2023 Day 6 Devi Maa Katyayani Mantra, Arti, Vrat Katha, Puja Vidhi in Hindi: यजुर्वेद में प्रथम बार ‘कात्यायनी’ नाम का उल्लेख मिलता है। यह मां दुर्गा का छठा स्वरूप है। साथ ही मां कात्यायनी ने ही महिषासुर दैत्य का वध किया था। शास्त्रों के अनुसार देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए आदि शक्ति देवी के रूप में महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई थीं। इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ गया। मान्यता है कि इनकी कृपा से मनचाहा वर और प्रेम विवाह की सभी अड़चने दूर हो जाती है। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। 

शास्त्रों के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना करने से व्यक्ति को अपनी सभी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है। वहीं अगर मां कात्यायनी के स्वरूप की बात करें तो मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं और इनकी सवारी सिंह है। महिषासुर नामक दैत्य का वध करने वाली माता भी यही हैं। आइए जानते हैं पूजा- विधि, मंत्र और आरती…

मां कात्यायनी की पूजा के शुभ योग

  • रवि योग : सुबह 06.19 – दोपहर 03.28
  • सर्वार्थ सिद्धि योग : पूरे दिन
  • अमृत सिद्धि योग : 27 मार्च 2023, दोपहर 03.28 – 28 मार्च 2023, सुबह 06.17
  • आयुष्मान योग : 26 मार्च 2023, रात 11.33 – 28 मार्च 2023, रात 11.21

मां कात्यायनी की पूजा विधि (Maa Katyayni Puja Vidhi)

सुबह जल्दी उठकर साफ- सुथरे कपड़े पहन लें और मां कात्यायनी का चित्र या मूर्ति अगर पहले स्थापित हो तो ठीक है, वरना मां दुर्गा का चित्र या मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित करें और फिर दीपक, धूप प्रज्जवलित करें। वहीं मां कात्यायनी का संबंध बृहस्पति और आंशिक संबंध शुक्र से भी है। इसलिए इनकी पूजा में पीले रंग का ज्यादा प्रयोग करें। साथ ही मां कात्यायनी को रोली और सिंदूर का तिलक लगाएं। फिर मंत्रों का जाप करते हुए कात्यायनी देवी को फूल अर्पित करें और शहद का भोग लगाएं। दुर्गा सप्तसती का पाठ करें। साथ ही पाठ होने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इसके बाद भोग घर के सभी सदस्यों में बांट दें।

इस आरती का करें गान

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

इन मंत्रों का करें जाप

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

‘चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना। कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनी॥

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First published on: 27-03-2023 at 04:17 IST
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