Buddha Jayanti 2019: ये हैं भगवान बुद्ध के चार आर्य सत्य, जिसे हर मनुष्य को जानना चाहिए
बता दें कि महात्मा बुद्ध को बिहार में स्थित महाबोधि मंदिर के महाबोधि वृक्ष या पीपल वृक्ष के नीचे कठिन तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ था। बाद में उनकी शिक्षा और ज्ञान को उनके अनुयायी पूरी दुनिया में विस्तार किया।

भगवान बुद्ध जयंती वौशाख मास की पूर्णिमा के दिन पड़ती है। साल 2019 में भगवान बुद्ध की जयंती 18 मई 2019 यानि आज पूरे देश में मनाई जा रही है। यह दिन बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिंदुओं के लिए भी दिन बहुत खास होता है। बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती और ‘वेसाक’ उत्सव के तौर पर भी मनाया जाता है। बौद्ध धर्म में मान्यता है कि इसी दिन महात्मा बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और यही उनका निर्वाण दिवस भी है। साथ ही बौद्ध धर्म की मान्यताओं के अनुसार सुख-सुविधा से पूर्ण जीवन को छोड़कर राजकुमार सिद्धार्थ गौतम ज्ञान की खोज में जंगल की ओर निकल पड़े थे।
बता दें कि महात्मा बुद्ध को बिहार में स्थित महाबोधि मंदिर के महाबोधि वृक्ष या पीपल वृक्ष के नीचे कठिन तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ था। बाद में उनकी शिक्षा और ज्ञान को उनके अनुयायी पूरी दुनिया में विस्तार किया। अपने सामाजिक जीवन को छोड़ने के बाद, वो चार घटनाए देखने के बाद और बहुत कुछ समझने के बाद महात्मा बुद्ध ने चार महान सत्यों को उजागर किया। आगे इसे जानते हैं। महात्मा बुद्ध के अनुसार-
दुःख -दुःख है – संसार में दुःख है।
समुदय – दुःख का कारण भी है।
निरोध – उस कारण का निवारण भी है।
मार्ग -निवारण के लिए तरीका भी है।
चार घटनाएं- एक दिन जब सिद्धार्थ सैर पर निकले तो उन्होंने देखा – एक बूढ़ा व्यक्ति जो लाठी के सहारे कापते हुए चल रहा था, फिर एक रोगी व्यक्ति को देखा। फिर उन्होंने एक अर्थी को देखा और अंत में उन्होंने एक सन्यासी को देखा जो अपनी ही मस्ती में मग्न था। बुद्ध अभी तक महलों में रहते आये थे उनके लिए यह तीनो घटनाए बिलकुल नई थी। यह उनके लिए एक बिलकुल ही नया अनुभव था। वो हैरान रह गए यह देख कर कि इंसान को इतना दुःख भी मिल सकता है। बड़े ही ध्यान से इन सभी बातों पर जो उन्होंने देखी थी उन पर विचार किया तो संसार को छोड़ दिया।
उन्होंने देखा कि संसार में दुःख है। उन्होंने इस बात पर काम किया कि दुःख है क्यों? यानि इस दुःख का कारण क्यां है? और अगर इसका कोई कारण है तो क्यां उसका निवारण भी है? उन्होंने पाया कि हा इस दुःख का निवारण भी है। निवारण का जो मार्ग उन्होंने दिया वो महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाओ में से एक है।बौद्ध प्रतीकों में प्रायः अष्टांग मार्गों को धर्मचक्र के आठ ताड़ियों द्वारा निरूपित किया जाता है। बौद्ध धर्म के अनुसार, चौथे आर्य सत्य का अष्टांग मार्ग है – दुःख निरोध पाने का रास्ता। गौतम बुद्ध कहते थे कि चार आर्य सत्य की सत्यता का निश्चय करने के लिए इस मार्ग का अनुसरण करना चाहिए