Basant Panchami Saraswati Puja 2022: हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष बसंत पंचमी का उत्सव 5 फरवरी 2022 को मनाया जाएगा। हिंदू आस्था के अनुसार इस दिन शिक्षा की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान बताया गया है। मां सरस्वती को विद्या की देवी माना गया है। शास्त्रों में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि मां सरस्वती का जन्म बसंत पंचमी के दिन ही हुआ था। इस दिन परिवार में छोटे बच्चों को पहली बार किताब और कलम पकड़ाने की भी मान्यता है।
जानें बसंत पंचमी का महत्व: यह त्यौहार पंचमी तिथि के दिन सूर्योदय और दोपहर के बीच में मनाया जाता है। भारत में इस दिन से बसंत ऋतु (वसंत ऋतु) की शुरुआत भी हो जाती है। यदि पंचमी तिथि आधे दिन के बाद यानी मध्याह्न के बाद शुरू होती है तो बसंत पंचमी अगले दिन मनाई जाती है और यह फिर अगले दिन के पहले भाग तक मान्य रहती है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि बसंत पंचमी का दिन बेहद शुभ होता है और इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत की जा सकती है। विद्या का आरंभ करने के लिए ये दिन सबसे शुभ माना गया है।
बसंत पंचमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त: इस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है यानि कि लोग बिना पंचांग देखे पूरे दिन में किसी भी वक्त अपने काम को अंजाम दे सकते हैं। कभी-कभी पंचांग के अनुसार बसन्त पंचमी चतुर्थी तिथि को भी पड़ जाती है। इस बार पंचमी 5 फरवरी, 2022 (शनिवार) को है और पूजा मुहूर्त: 07:07:19 से 12:35:19 तक है, मतलब इसकी कुल अवधि 5 घंटे 28 मिनट होगी।
त्रिवेणी योग में पंचमी: बसंत पंचमी का दिन अपने आप में भी स्वयंसिद्धि मुहूर्त माना जाता है। ऐसे में त्रिवेणी का शुभ संयोग इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ाने वाला साबित होगा। इस वर्ष बसंत पर त्रिवेणी योग (सिद्ध, साध्य और रवियोग) का संगम होने जा रहा है। ऐसे में शिक्षा से संबंधित कोई भी महत्वपूर्ण फैसला लेने के लिए या विद्यारंभ के लिए 2022 बसंत पंचमी बेहद ही ख़ास रहने वाली है।
बात करें समय की तो, सिद्धयोग 4 फरवरी को 7:10 बजे से 5 फरवरी को शाम 5:40 तक रहेगा। वहीं साध्य योग 5 फरवरी को शाम 5.41 बजे से अगले दिन 6 फरवरी को शाम 4:52 बजे तक रहेगा। जबकि इसके अलावा इस दिन दिन रवि योग का बेहद ही ख़ास और शुभ संयोग भी बन रहा है।
बसंत पंचमी पूजा विधि: मां सरस्वती की पूजा से पहले इस दिन नहा-धोकर सबसे पहले पीले वस्त्र धारण कर लें। स्नान के बाद मां सरस्वती की पूजा करें और उन्हें पीले रंग के फूल और पीली रंग की मिठाइयां अर्पित करें। इसके बाद पूजा के दौरान उन्हें विधिवत आचमन और स्नान कराएं। फिर देवी को श्रंगार की वस्तुएं चढ़ाएं। सरस्वती पूजा के दिन सरस्वती स्त्रोत के इस महत्वपूर्ण मंत्र का जाप अवश्य करें।
