Akshaya Tritiya 2020 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat Timings: कल है अक्षय तृतीया बन रहा खास योग, जानें कैसे करें पूजा और क्या है कथा, मंत्र व आरती
Akshaya Tritiya 2020 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat Timings, Lakshmi Puja Mantra: इस तिथि को हिंदू पंचांग अनुसार बेहद ही शुभ माना गया है। इस बार यह पर्व 26 अप्रैल को मनाया जा रहा है। इस दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे संपन्न किये जा सकते हैं।

Akshaya Tritiya 2020 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat Timings, Lakshmi Puja Mantra: अक्षय तृतीया अथवा आखा तीज हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ती है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा उच्च प्रभाव में होते हैं। इसलिए इस तिथि को हिंदू पंचांग अनुसार बेहद ही शुभ माना गया है। इस बार यह पर्व 26 अप्रैल को मनाया जा रहा है। इस दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे संपन्न किये जा सकते हैं।
अक्षय तृतीया मुहूर्त 2020 (Akshaya Tritiya 2020 Muhurat):
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त – प्रातः 05:45 से दोपहर 12:19 पी एम
तृतीया तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 25, 2020 को 11:51 ए एम बजे
तृतीया तिथि समाप्त – अप्रैल 26, 2020 को 01:22 पी एम बजे
अक्षय तृतीया पूजा विधि (Akshaya Tritiya Puja Vidhi):
– इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और नित्य कर्म से निवृत्त होकर पवित्र जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।
– इसके बाद घर के पूजा स्थल या फिर किसी भी पवित्र स्थान पर विष्णु जी और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
– यदि व्रत रखना चाहते हैं तो उसका संकल्प लें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को पंचामृस से स्नान करवाएं।
– सुंगधित पुष्प से बनी हुई माला पहनाएं। फिर गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चले की दाल अर्पित करें।
– संभव हो तो इस दिन विष्णु सहस्रनाम पाठ और श्री सूक्त का पाठ भी कर लें।
– अंत में तुलसी का जल चढ़ाकर आरती उतारें और ब्राह्मणों को दान करें।
– अक्षय तृतीया के दिन सोना अथवा चांदी के आभूषण खरीदने का विधान है। कई लोग घर में बरकत के लिए इस दिन सोने या चांदी की लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखते और उसकी नियमित पूजा करते हैं।
– इस दिन फल-फूल, बर्तन, वस्त्र, गौ, भूमि, जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, खड़ाऊं, चावल, नमक, घी, खरबूजा, चीनी, साग, आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है।
महालक्ष्मी के मंत्र:
।। ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
।। ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम: ।।
।। ॐ सर्वाबाधा विर्निमुक्तो धनधान्यसुतान्वित:, मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय: ।।
Highlights
“शुक्लाम्बर धरम देवम शशिवर्णम चतुर्भुजम, प्रसन्नवदनम ध्यायेत सर्व विघ्नोपशांतये।।” इस मन्त्र से तुलसी दल चढाएं। संभव हो तो बेला का फूल चढ़ाते हुए “माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो। मया ह्रितानि पुष्पाणि पूजार्थम प्रतिगृह्यताम।।” मन्त्र का उच्चारण करें। “पंचामृतम मयानीतम पयो दधि घृतम मधु शर्करा च समायुक्तम स्नानार्थम प्रति गृह्यताम।।” इस मंत्र का उच्चारण करके पंचामृत से भगवान विष्णु को स्नान कराएं।
हिन्दुओं के लिए अक्षय तृतीया बड़ा पर्व है। यह पर्व मुख्य रूप से श्री हरि विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि इसी दिन विष्णुजी के अवतार परशुराम जी धरती पर अवतरित हुए थे। यही वजह है कि अक्षय तृतीया को परशुराम के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। वहीं, दूसरी मान्यता है कि भगीरथ के प्रयासों से सबसे पावन गंगा जी इसी दिन स्वर्ग से धरती पर आईं थीं। यह दिन रसोई और भोजन की देवी अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी माना जाता है।
महाभारत में बताया जाता है कि जब पांडवों को वन में 13 सालों के लिए जना पड़ा तो एक दिन उनके वनवास के दौरान दुर्वासा ऋषि उनकी कुटिया में आए। ऐसे में सभी पांडवों और द्रोपदी ने घर में जो कुछ रखा था उनसे उनका अतिथि सत्कार किया। दुर्वासा ऋषि द्रोपदी के इस अतिथि सत्कार से बहुत प्रसन्न हुए। जिसके बाद उन्होंने प्रसन्न होकर द्रोपदी को अक्षय पात्र उपहार में दिया। साथ ही दुर्वासा ऋषि ने यह भी कहा कि इस दो व्यक्ति भक्तिभाव से भगवान विष्णु जी की पूजा करेगा और गरीब को दान देगा, उसे अक्षय फल की प्राप्ति होगी।
अक्षय तृतीया पर इस बार बहुत शुभ योग बन रहे हैं। इस साल 25 अप्रैल दोपहर करीब बारह बजे से तृतीया तिथि आरंभ होगी जो अगले दिन दोपहर करीब 1.20 मिनट तक रहेगी। इस बार अक्षय तृतीया पर उदय व्यापिनी और रोहिणी नक्षत्र का संयोग है, जो इसे बहुत ही फलदायी बना रहे हैं। इस बहुत अच्छा मुहूर्त है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि पूर्वक पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन शंख से की गई पूजा से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होते हैं।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लॉकडाउन है ऐसे में घर में रहकर ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करें। इसके लिए आपको सुबह स्नान करके भगवान विष्णु को कच्चे दूध से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पर दक्षिणावर्ती शंख में जलभरकर अर्पित करें। इसके अलावा बचे जल को घर में छिड़कें। माता लक्ष्मी को पंच मेवे का भोग लगाएं और विष्णु भगवान को खीर का भोग लगा सकते हैं।
अक्षय तृतीया की तिथि: 26 अप्रैल 2020तृतीया तिथि आरंभ: 25 अप्रैल 2020 को सुबह 11 बजकर 51 मिनट सेतृतीया तिथि समाप्त: 26 अप्रैल 2020 को दोपहर 1 बजकर 22 मिनट तकपूजा मुहूर्त: 26 अप्रैल 2020 को सुबह 5 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तककुल अवधि: 6 घंटे 34 मिनट
अक्षय तृतीया पर इस बार बहुत शुभ योग बन रहे हैं। इस साल 25 अप्रैल दोपहर करीब बारह बजे से तृतीया तिथि आरंभ होगी जो अगले दिन दोपहर करीब 1.20 मिनट तक रहेगी। इस बार अक्षय तृतीया पर उदय व्यापिनी और रोहिणी नक्षत्र का संयोग है, जो इसे बहुत ही फलदायी बना रहे हैं। इस बहुत अच्छा मुहूर्त है।
डिजिटल गोल्ड- डिजिटल गोल्ड को ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। इस फिजिकल गोल्ड को सेंट्रली सुरक्षित रूप से स्टोर किया जाता है।एक्सचेंज ट्रेडेड-फंड ETF- यह सोने को खरीदने का सबसे सस्ता तरीका है। इसमें सोने को पेपर फॉर्मेट में एक्सचेंजो पर खरीदा और बेचा जा सकता है।
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। यह त्योहार इस बार 26 अप्रैल को है। लॉकडाउन होने के कारण ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए यह अक्षय तृतीया फीकी ही रहने वाली है। इसके बावजूद कुछ ज्वेलर्स अपने ग्राहकों को ऑनलाइन ऑफर्स दे रहे हैं। अगर आप इस मौके पर सोना खरीदना चाहते हैं तो आपको इसे ऑनलाइन खरीदना होगा क्योंकि देशभर के सर्राफा बाजार बंद हैं।
ग्रीष्मऋतु से सम्बन्धित सत्तू, गुड़, जल, पंखा, फल आदि का दान करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। पूजनोपरान्त इस मन्त्र से प्रार्थना करते हुए पुष्प चढ़ाएं-“अन्यथा शरणम नास्ति त्वमेव शरणम मम।तस्मात कारुण्य भावेन रक्ष माम चतुर्भुजम।।”
अक्षय तृतीया के पावन मौके पर भगवान को भोग लगाना चाहिए। आप अपनी इच्छानुसार भोग लगा सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें, भगवान को सात्विक आहार का भोग लगाया जाता है। भगवान को भोग लगाने के बाद, भोग का हिस्सा गाय को खिला दें और बाकी को परिवार के सभी लोगों में बांट दें।
अक्षय तृतीया का दिन शुभ होता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इस पावन तिथि पर सुबह स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
अक्षय तृतीया पर इस बार बहुत शुभ योग बन रहे हैं। इस साल 25 अप्रैल दोपहर करीब बारह बजे से तृतीया तिथि आरंभ होगी जो अगले दिन दोपहर करीब 1.20 मिनट तक रहेगी। इस बार अक्षय तृतीया पर उदय व्यापिनी और रोहिणी नक्षत्र का संयोग है, जो इसे बहुत ही फलदायी बना रहे हैं। इस बहुत अच्छा मुहूर्त है।
महाभारत में बताया जाता है कि जब पांडवों को वन में 13 सालों के लिए जना पड़ा तो एक दिन उनके वनवास के दौरान दुर्वासा ऋषि उनकी कुटिया में आए। ऐसे में सभी पांडवों और द्रोपदी ने घर में जो कुछ रखा था उनसे उनका अतिथि सत्कार किया। दुर्वासा ऋषि द्रोपदी के इस अतिथि सत्कार से बहुत प्रसन्न हुए। जिसके बाद उन्होंने प्रसन्न होकर द्रोपदी को अक्षय पात्र उपहार में दिया। साथ ही दुर्वासा ऋषि ने यह भी कहा कि इस दो व्यक्ति भक्तिभाव से भगवान विष्णु जी की पूजा करेगा और गरीब को दान देगा, उसे अक्षय फल की प्राप्ति होगी।
डिजिटल गोल्ड-
डिजिटल गोल्ड को ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। इस फिजिकल गोल्ड को सेंट्रली सुरक्षित रूप से स्टोर किया जाता है।
एक्सचेंज ट्रेडेड-फंड ETF-
यह सोने को खरीदने का सबसे सस्ता तरीका है। इसमें सोने को पेपर फॉर्मेट में एक्सचेंजो पर खरीदा और बेचा जा सकता है।
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। यह त्योहार इस बार 26 अप्रैल को है। लॉकडाउन होने के कारण ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए यह अक्षय तृतीया फीकी ही रहने वाली है। इसके बावजूद कुछ ज्वेलर्स अपने ग्राहकों को ऑनलाइन ऑफर्स दे रहे हैं। अगर आप इस मौके पर सोना खरीदना चाहते हैं तो आपको इसे ऑनलाइन खरीदना होगा क्योंकि देशभर के सर्राफा बाजार बंद हैं।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लॉकडाउन है ऐसे में घर में रहकर ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करें। इसके लिए आपको सुबह स्नान करके भगवान विष्णु को कच्चे दूध से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पर दक्षिणावर्ती शंख में जलभरकर अर्पित करें। इसके अलावा बचे जल को घर में छिड़कें। माता लक्ष्मी को पंच मेवे का भोग लगाएं और विष्णु भगवान को खीर का भोग लगा सकते हैं।
अक्षय तृतीया पर इस बार बहुत शुभ योग बन रहे हैं। इस साल 25 अप्रैल दोपहर करीब बारह बजे से तृतीया तिथि आरंभ होगी जो अगले दिन दोपहर करीब 1.20 मिनट तक रहेगी। इस बार अक्षय तृतीया पर उदय व्यापिनी और रोहिणी नक्षत्र का संयोग है, जो इसे बहुत ही फलदायी बना रहे हैं। इस बहुत अच्छा मुहूर्त है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि पूर्वक पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन शंख से की गई पूजा से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होते हैं।
“शुक्लाम्बर धरम देवम शशिवर्णम चतुर्भुजम, प्रसन्नवदनम ध्यायेत सर्व विघ्नोपशांतये।।” इस मन्त्र से तुलसी दल चढाएं। संभव हो तो बेला का फूल चढ़ाते हुए “माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो। मया ह्रितानि पुष्पाणि पूजार्थम प्रतिगृह्यताम।।” मन्त्र का उच्चारण करें। “पंचामृतम मयानीतम पयो दधि घृतम मधु शर्करा च समायुक्तम स्नानार्थम प्रति गृह्यताम।।” इस मंत्र का उच्चारण करके पंचामृत से भगवान विष्णु को स्नान कराएं।
सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त: 25अप्रैल 2020 को सुबह 11 बजकर 51 मिनट से 26 अप्रैल 2020 को सुबह 5 बजकर 45 मिनट तक
कुल अवधि: 17 घंटे 53 मिनट
अक्षय तृतीया की तिथि: 26 अप्रैल 2020
तृतीया तिथि आरंभ: 25 अप्रैल 2020 को सुबह 11 बजकर 51 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त: 26 अप्रैल 2020 को दोपहर 1 बजकर 22 मिनट तक
पूजा मुहूर्त: 26 अप्रैल 2020 को सुबह 5 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तक
कुल अवधि: 6 घंटे 34 मिनट
अक्षय तृतीया के पावन दिन दान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। इस तिथि पर दान करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दान करने का कई गुना फल मिलता है। इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार दान अवश्य करें।
ग्रीष्मऋतु से सम्बन्धित सत्तू, गुड़, जल, पंखा, फल आदि का दान करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। पूजनोपरान्त इस मन्त्र से प्रार्थना करते हुए पुष्प चढ़ाएं-
“अन्यथा शरणम नास्ति त्वमेव शरणम मम।
तस्मात कारुण्य भावेन रक्ष माम चतुर्भुजम।।”
मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन जो लोग विवाह करते हैं उनमें हमेशा प्रेम संबंध बना रहता है। यही नहीं इस दिन तमाम मांगलिक कार्य जैसे कि उपनयन संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, गृह प्रवेश और नए व्यापार या प्रोजेक्ट को शुरू करना शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया की पौराणिक मान्यता है कि महाभारत-काल में जब पाण्डवों को 13 वर्ष का वनवास हो गया तो एक बार ऋषि दुर्वासा पाण्डवों की कुटिया में पधारे। उनका यथोचित सत्कार द्रौपदी ने किया, जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने उन्हें अक्षय-पात्र प्रदान किया और कहा कि आज अक्षय तृतीया है, अतः आज के दिन पृथ्वी पर जो भगवान विष्णु की विधिवत पूजा कर चने का सत्तू, गुड़, ऋतुफल, वस्त्र, जलयुक्त घड़ा तथा दक्षिणा के साथ श्री हरी विष्णु के निमित्त दान करेगा, उसका भण्डार सदैव भरा रहेगा।
हिन्दुओं के लिए अक्षय तृतीया बड़ा पर्व है। यह पर्व मुख्य रूप से श्री हरि विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि इसी दिन विष्णुजी के अवतार परशुराम जी धरती पर अवतरित हुए थे। यही वजह है कि अक्षय तृतीया को परशुराम के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। वहीं, दूसरी मान्यता है कि भगीरथ के प्रयासों से सबसे पावन गंगा जी इसी दिन स्वर्ग से धरती पर आईं थीं। यह दिन रसोई और भोजन की देवी अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी माना जाता है।