Aja Ekadashi 2020 Vrat: अजा एकादशी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। अजा एकादशी 2020 में 15 अगस्त, शनिवार को मनाई जाएगी। हर महीने में दो बार एकादशी आती है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में ही एकादशी का व्रत किया जाता है। भगवान विष्णु या उनके परमावतार श्री कृष्ण के भक्त अपने इष्ट की प्रसन्नता के लिए व्रत करते हैं। माना जाता है कि भगवान विष्णु को एकादशी तिथि बहुत प्रिय है। इसलिए उनके भक्त इस दिन व्रत करते हैं।
अजा एकादशी का महत्व: मान्यता है कि अजा एकादशी व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। माना जाता है कि एकादशी का व्रत अनेकों पुण्यों को देने वाला होता है। सभी वैष्णव या श्री कृष्ण के भक्त उनकी प्रसन्नता के लिए यह व्रत इसलिए करते हैं ताकि मृत्यु से पहले उन्हें भगवद्दर्शन हों। साथ ही यह भी कहा जाता है कि एकादशी का व्रत मोक्षदायक होता है। इस दिन व्रत करने से जीवात्मा मृत्यु के बाद भगवान विष्णु के धाम यानी बैकुंठ धाम में वास करती है।
अजा एकादशी पूजा विधि:
– अजा एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें। स्नान करें लेकिन ध्यान रखें कि इस बाल नहीं धोने चाहिए।
– भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष बैठकर उन्हें नमस्कार करें। चंदन का तिलक लगाएं। फूल-हार चढ़ाएं।
– दीपक जलाएं। विष्णु स्तुति, विष्णु चालीसा और अजा एकादशी व्रत कथा पढ़े।
– इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें।
– भगवान को मौसमी फलों का भोग लगाएं। साथ ही तुलसी दल का भोग भी अवश्य लगाएं।
अजा एकादशी व्रत कथा: भाद्रपद माह की एकादशी के बारे में युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि यह एकादशी सभी पापों का नाश करने वाली है। इससे बैकुंठ की प्राप्ति होती है। हरिचंद्र नाम का एक चक्रवर्ती राजा था। समय की मार पड़ने के कारण उसे अपना राज-पाठ छोड़ना पड़ा। वह चांडाल का दास बनकर जिंदगी बिताने को मजबूर था।
लेकिन वो अपनी ऐसी जिंदगी से खुश नहीं था। हर पल सोचता था कि किससे जा कर अपना दुख कहूं। क्या कोई मेरी परेशानियों को मुझसे दूर कर पाएगा। कई महीनों तक कोई रास्ता उसे नहीं मिला। एक दिन अचानक ऋषि गौतम मिले। राजा उन्हें देखकर प्रसन्न हुआ। प्रणाम किया। कहा हे प्रभु मेरे जीवन में गहन दुख है। इसके निवारण के लिए उपाय बताएं। ऋषि गौतम ने कहा – हे राजन, एक हफ्ते बाद अजा एकादशी है। उस दिन व्रत करो। तुम्हारी सभी परेशानियों का नाश हो जाएगा।
ऋषि के कथनानुसार राजा ने विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत के प्रभाव से राजा को उसका राज्य वापस मिल गया। मृत्यु होने पर वह राजा बैकुंठ धाम गया। अजा एकादशी की कथा पढ़ने-सुनने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
अजा एकादशी शुभ मुहूर्त:
पूजा का शुभ मुहूर्त – 15 अगस्त – 08:52 पी एम से 10:30 पी एम तक
पारण समय – 16 अगस्त – 05:51 ए एम से 08:29 ए एम तक