अधिक मास में गलती से भी न करें ये 10 काम, माने गए हैं वर्जित
इस महीने में कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है। कहते हैं कि जो व्यक्ति अधिक मास में इसके नियमों को नहीं मानता है उससे देवता नाराज हो जाते हैं।

Adhik Maas 2020 : अधिक मास का पावन महीना 18 सितंबर, शुक्रवार शुरू हो गया है। शास्त्रों में इस महीने की महिमा के बारे में बताया गया है। माना जाता है कि इस महीने में पूजा-पाठ करने से दस गुणा अधिक फलों की प्राप्ति होती है। अधिक मास को भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। इसलिए ही इस महीने का एक नाम पुरुषोत्तम मास (Purushottam Maas 2020) भी है।
साथ ही इसे मलमास भी कहा जाता है। कहते हैं कि इस महीने में कोई भी मांगलिक कार्य, व्रत और त्योहार नहीं होते हैं इसलिए इसे मलिन मानकर मलमास (Malmas 2020) कहा जाता है। इस महीने में कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है। कहते हैं कि जो व्यक्ति अधिक मास में इसके नियमों को नहीं मानता है उससे देवता नाराज हो जाते हैं।
इस महीने में विवाह करना अशुभ माना जाता है। भगवान विष्णु के सोए होने की वजह से और अधिक मास की वजह से इस महीने में शादी-सगाई जैसे मांगलिक कार्यों को करने के लिए मना किया गया है।
अधिक मास में मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि अपने स्वाद के लिए किसी जीव की हत्य करने से व्यक्ति को घोर नरकों की यात्नाएं झेलनी पड़ती हैं।
इस एक महीने की अवधि कोई भी नया कारोबार नहीं शुरू करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान कारोबार शुरू करने से उसमें सफलता हासिल नहीं हो पाती है। इसलिए इस महीने में गलती से भी नया व्यवसाय शुरू न करें।
माना जाता है कि अधिक मास में भूल से भी अपने गुरु, गुरु समान व्यक्ति, पितृ देव, इष्ट देव, स्वामी ग्रह और संतों का अपमान नहीं करना चाहिए। बताया जाता है कि ऐसा करने से देवता क्रोधित होते हैं।
अक्सर लोग अपने बच्चों का मुंडन उनके जन्म के सवा महीने के बाद करवाते हैं। लेकिन अधिक मास में मुंडन संस्कार करवाने के लिए मना किया जाता है। क्योंकि यह महीना शुभ कार्यों को करने के लिए नहीं बना है।
यह महीना पूजा-पाठ के लिए विशेष है। इसलिए एक दिन भी बिना आराधना किए नहीं बिताना चाहिए। कहते हैं कि अधिक मास में पुण्य कर्मों और पूजा-पाठ का फल भी अधिक मिलता है। इसलिए पूजा का नियम न छोड़ें।
अधिक मास में महिलाओं को अपने बाल नहीं कटवाने चाहिए। माना जाता है कि बाल गंदगी का प्रतीक होते हैं। इसलिए परम पावन महीने में बाल नहीं कटवाने चाहिए। बताया जाता है कि ऐसा करने से देव नाराज होते हैं।
इस महीने में झूठ, हिंसा, अत्याचार और चोरी आदि जैसे पाप कर्म नहीं करने चाहिए। शास्त्रों में ऐसे कर्मों के लिए हमेशा मना किया गया है। विशेष तौर पर अधिक मास में ऐसा कर्म करने से घोर पाप लगता है।
मलमास यानी अधिक मास में किसी भी तीर्थ स्थल, देवी-देवता या पूजनीय नदी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि इस महीने में ऐसा कर्म करने से पाप लगता है जिससे निवारण का भी कोई उपाय नहीं है।
अधिक मास में तुलसी के पौधे का निरादर नहीं करना चाहिए। इस दौरान तुलसी का पौधा भी अपने घर से बाहर न निकालें। कहते हैं कि यह भगवान विष्णु को समर्पित समय है और भगवान विष्णु देवी तुलसी के इस रूप में उनके साथ रहते हैं।