Kerala : धार्मिक कानूनों के तहत तीन साल पहले शादी रचा चुका केरल के कासरगोड में एक मुस्लिम जोड़ा धर्मनिरपेक्ष विशेष विवाह अधिनियम के तहत फिरसे अपनी शादी रजिस्टर करा रहा है। अब आप सोच रहे होंगे कि जब एक बार शादी हो चुकी है तो फिरसे शादी करने की क्या जरूरत महसूस हुई होगी ? लेकिन अभिनेता सी शुक्कुर और महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो-वाइस चांसलर उनकी पत्नी शीना बुधवार को नए सिरे से अपनी शादी का पंजीकरण कराने वाले हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह..
क्या है वजह?
सी शुक्कुर फिरसे शादी रजिस्टर करने की वजह पर बात करते हुए कहते हैं कि वह अपनी पत्नी शीना से पुनर्विवाह करने जा रहे हैं ताकि यह तय हो सके कि उनकी संपत्ति उनके तीनों बेटियों को दी जाएगी । उन्होंने कहा कि यह मुस्लिम विरासत कानूनों के अनुसार संभव नहीं होगा। जिसके तहत उनकी शादी हुई है।
भारत में मुसलमानों के लिए विरासत मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 द्वारा शासित है। शरीयत को लागू करने वाला यह कानून दो प्रकार के कानूनी उत्तराधिकारियों हिस्सेदारों को मान्यता देता है।
एक कानूनी उत्तराधिकारी जिसे विरासत में हिस्सा मिलता है उसकी बारह श्रेणियां हैं- (1) पति, (2) पत्नी, (3) बेटी, (4) एक बेटे की बेटी (या बेटे का बेटा या बेटे का बेटा वगैरह), (5 ) पिता, (6) दादा, (7) माता, (8) पुरुष वंश की दादी, (9) सगी बहन (10) सगोत्र बहन (11) गर्भाशय बहन, और (12) गर्भाशय भाई।
शरीयत कानून के तहत संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा ही किसी के पक्ष में वसीयत किया जा सकता है। शेष को अभी भी जटिल धार्मिक कानून के अनुसार विभाजित करना होगा। इसलिए एक मुस्लिम जोड़े के पास किसी को अपना एकमात्र उत्तराधिकारी बनाने के लिए धार्मिक कानून के तहत कोई रास्ता नहीं है।
शुक्कुर और शीना की पहली शादी 1994 में एक स्थानीय काजी ने की थी। जोड़े ने अब विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को पंजीकृत करने का विकल्प चुना है। धार्मिक कानूनों से बचने के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट की शरण लेना कोई नई बात नहीं है। दरअसल, स्पेशल मैरिज एक्ट बनाने का मकसद यही था।