पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर का चुराया गया नोबेल पुरस्कार पदक सीबीआई द्वारा अभी तक बरामद नहीं किया जा सका। यह राज्य के लोगों का बड़ा अपमान है। चोरी की घटना को 18 साल हो चुके हैं। 25 मार्च 2004 को विश्व भारती संग्रहालय की सुरक्षा तिजोरी से नोबेल पुरस्कार का पदक और प्रशस्ति पत्र चोरी हो गया था।
जब 2004 में ये पुरस्कार चोरी हुआ था, उस वक्त राज्य में सीपीआईएम की सरकार थी और बुद्धदेव भट्टाचार्जी मुख्यमंत्री थें। तत्कालीन बुद्धदेव भट्टाचार्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने मामले को तुरंत सीबीआई को सौंप दिया था और सीबीआई ने 2009 में मामले की जांच बंद कर दी थी।
नोबेल पुरस्कार विजेता के 181वें जन्मदिन पर राज्य सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “यह हमारा पहला नोबेल पुरस्कार था और किसी ने इसे चुरा लिया। घटना वामपंथी शासन के दौरान हुई थी। यह हम सभी के लिए दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद दर्दनाक है कि इतने सालों के बाद भी नोबेल पुरस्कार का पता नहीं चल सका। नोबेल पुरस्कार हमारे लिए गर्व की बात थी। हम पहले हैं जिन्होंने इसे प्राप्त किया, लेकिन हम इसे संरक्षित करने में विफल रहे। यह बहुत बड़ा अपमान है। इनाम चोरी हो गया होगा लेकिन रवींद्रनाथ टैगोर हमारे दिलों में हैं। मुझे नहीं पता कि सभी सबूत संरक्षित किए गए थे या नहीं, लेकिन यह हमारा बहुत बड़ा अपमान है।”
वहीं पुरस्कार चोरी पर राजनीति भी तेज हो गई है और बीजेपी इसके लिए टीएमसी को जिम्मेदार मानती है। भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने सोमवार को दावा किया कि सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के रवींद्रनाथ टैगोर नोबेल पुरस्कार पदक चोरी की घटना से संबंध हैं। राहुल सिन्हा ने कहा, “जब नोबेल पुरस्कार की खोज के प्रयास किए जा रहे थे तब राज्य सरकार हर तरीके से असहयोग कर रही थी। अब वे पूछ रहे हैं कि प्राइज कहां है? टीएमसी सरकार के चोरी, भ्रष्टाचार और बलात्कार की घटनाओं से संबंध हैं।”
वहीं टीएमसी ने बीजेपी नेता के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि वे झूठ बोल रहे हैं और हमें उनके द्वारा लगाये गए आरोपों पर जवाब देने की जरुरत नहीं है।