पश्चिम बंगाल के बीरभूम हिंसा मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने गुरुवार को पहली गिरफ्तारी की। 21 मार्च को हुई इस घटना में उसने मुंबई से चार लोगों को गिरफ्तार किया। हिंसा में कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई थी। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। इससे पहले दिन में कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी की प्रारंभिक रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया। कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
कोर्ट डिप्टी ग्राम प्रधान और टीएमसी नेता भादू शेख की मौत की सीबीआई जांच की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई की। टीएमसी नेता की हत्या के बाद ही हिंसा भड़की थी। द इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि सबूतों का एक बड़ा हिस्सा नष्ट कर दिया गया है। राज्य सरकार ने कहा है कि पुलिस शेख की हत्या की जांच कर रही है और इस मामले में सीबीआई जांच की कोई आवश्यकता नहीं है।
अभियोजक वकील कौस्तव बागची ने कहा, “पिछले सोमवार को मैंने एक अर्जी के जरिए माननीय जज के सामने दोनों जांच सीबीआई को सौंपने की अपील की थी। आज लंबी सुनवाई के बाद हमें उम्मीद है कि हम अदालत को यह समझाने में सफल रहे हैं कि बेहतर होगा कि सीबीआई शेख की हत्या और आग के कारण पांच लोगों की मौत दोनों घटनाओं की जांच करे। हमें भी उम्मीद है कि सच्चाई सामने आएगी। हमारा मानना है कि जब दो घटनाओं की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी करेगी तो निष्पक्ष जांच होगी।”
लाइव लॉ के अनुसार चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि हम रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे और सर्वर पर ऑर्डर अपलोड करेंगे। हाई कोर्ट ने 25 मार्च को राज्य सरकार की ओर से गठित एसआईटी से सीबीआई को जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया था। बोगतुई गांव में हुई हिंसा के एक दिन बाद अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी। अदालत ने इसे समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाली घटना बताया था।
अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को “आगे की जांच करने में सीबीआई को पूरा सहयोग देने” का निर्देश दिया था। इसने राज्य सरकार की ओर से गठित एसआईटी को अपनी जांच रोकने और न केवल “मामले के कागजात बल्कि आरोपी और संदिग्धों को भी केंद्रीय एजेंसी को सौंपने का आदेश दिया था, जिन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया गया था।”