पश्चिम बंगाल में वाम दलों ने शुक्रवार को 12 घंटे के बंद बुलाया। जिसके कारण जन-जीवन प्रभावित हुआ। पश्चिम बंगाल में राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ की ओर मार्च करते हुए वाम दल के कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस के बर्ताव के खिलाफ यह बंद बुलाया गया। वाम दल के कार्यकर्ताओं ने मालदा, बर्धमान, रायगंज, आसनसोल, दनकुनी, कोलकाता के कुछ हिस्सों में, उत्तरी 24 परगना और नादिया जिलों में रेल की पटरियां और सड़कें जाम कीं। बंद सुबह छह बजे शुरू हुआ था। प्रदर्शनकारियों ने कुछ इलाकों में टायरों में आग भी लगाई और कुछ जगह पुलिस कर्मियों को गुलाब के फूल भी दिए।
नौकरियों और बेहतर शिक्षा सुविधाओं की मांग को लेकर ‘नबन्ना अभियान’ में शामिल वाम कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच बृहस्पतिवार को मध्य कोलकाता के एस्पलेनेड इलाके में उस समय झड़प हो गई थी, जब कुछ लोगों ने अवरोधक हटाकर नबन्ना की ओर बढ़ने की कोशिश की। वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने पुलिस के ‘क्रूर हमले’ के खिलाफ बंद का आह्वान करते हुए दावा किया था कि कार्रवाई में 150 से अधिक छात्र, युवक एवं युवतियां घायल हुए हैं। सार्वजनिक वाहनों की सामान्य आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सड़कों पर भारी पुलिस बल की तैनाती भी दिखी।
वाम दल के नेता सुजान चक्रवर्ती ने बताया कि लोगों बंद का समर्थन किया। उन्होंने बताया कि छात्रों को स्कूल जाने से नहीं रोका गया। इस बीच भारतीय धर्मनिरपेक्ष मोर्चा के नेता पीरजादा अब्बास सिद्दिकी ने भी बंद का समर्थन किया है। पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार एक तरफ जहां खुद प्रशासन से दमन कराती है वहीं दूसरी ओर केन्द्र की ‘असंवैधानिक गतिविधियों’ का विरोध करती है।।
लेफ्ट और कांग्रेस का कहना है कि यह बंद बेरोजगारी के मुद्दे पर बंगाल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने सचिवालय जा रहे छात्रों और कार्यकर्ताओं पर पुलिस की बर्बरता के विरोध में बुलाया गया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, लेफ्ट कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को कॉलेज स्ट्रीट पर मार्च किया था, लेकिन पुलिस ने सचिवालय पहुंचने से पहले ही एक्टिविस्टों को एसप्लानाडे इलाके में स्थित एसएन बनर्जी रोड पर रोक लिया। इस दौरान जब कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की, तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि पुलिस ने जो बल इस्तेमाल किया वह बर्बर था।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। अब तक ज्यादातर लोग चुनावों को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबले के तौर पर देख रहे हैं। हालांकि, राज्य में लंबे समय तक राज करने वाली लेफ्ट पार्टियों और कांग्रेस ने भी अपनी मौजूदगी का अहसास कराने के लिए शुक्रवार को 12 घंटे का बंद बुलाया। इस बंद का असर कोलकाता समेत कई जगहों पर देखा गया। दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर सड़कें जाम कीं।
महामारी के कारण 11 महीने तक बंद रहने के बाद पश्चिम बंगाल में नौवीं से 12वीं कक्षा तक के लिए स्कूल शुक्रवार से खुल गए। सभी स्कूलों को कोविड-19 प्रोटोकॉल का बेहद कड़ाई से पालन करने को कहा गया है। कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के कारण सरकार ने मार्च, 2020 में पूरे देश में शिक्षण संस्थानों को बंद करने का फैसला लिया था। प्रशासन ने स्कूल प्रबंधन से कहा कि नए मामलों में वृद्धि रोकने के लिए कोविड-19 दिशा-निर्देश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। कई स्कूलों ने सिर्फ 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए पढ़ाई शुरू की है जबकि कई ने नौंवी से 12वीं तक के लिए। जिन स्कूलों में कक्षा 10 और 12 की पढ़ाई शुरू हुई है उनमें कक्षाएं एक-एक दिन के अंतर पर चलेंगी। शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, ‘‘नौवीं से 12वीं कक्षा तक के छात्र अब स्कूल जाकर पढ़ाई करेंगे। सरकार ने स्कूल प्रशासन से कोविड-19 प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने को कहा है। इस अवसर पर मैं अभी छात्रों और शिक्षकों का स्वागत करता हूं। हमें बहुत सावधानी रखनी होगी।’’
लेफ्ट और कांग्रेस की तरफ से बुलाए गए बंद में दोनों पार्टियों के समर्थकों ने सड़कों पर जमकर हंगामा काटा। कई जगहों पर ट्रेनों को रोका गया। सेंट्रल कोलकाता में तो बंद समर्थकों ने जबरदस्ती दुकानों के शटर बंद कराए और वाहनों में तोड़फोड़ भी की। तीन जगहों पर टायरों में भी आग लगाई गई। इस बीच कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान और सीपीएम लीडर सुजन चक्रवर्ती ने सियालदाह रेलवे टर्मिनल पर रैली निकाली।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस को झटके लगना जारी है। सुवेंदु अधिकारी और राजीव बनर्जी के बाद अब तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि त्रिवेदी अब भाजपा में शामिल हो सकते हैं। पढ़ें पूरी खबर…
पश्चिम बंगाल में आज से 9वीं से 12वीं तक क्लासों के साथ स्कूलों को खुलने की अनुमति दे दी गई। इसी के साथ स्कूलों के बाहर बड़ी संख्या में छात्र और टीचर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते नजर आए। कोलकाता में भी छात्र सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम मानते देखे गए।
लेफ्ट फ्रंट के नेता सुजन चक्रवर्ती ने दावा किया कि राज्य में लोगों ने खुद ही बंद का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि स्कूल के छात्रों को क्लासों में जाने से नहीं रोका गया। इस बीच इंडियन सेक्युलर फ्रंट लीजर पीरजादा अब्बास सिद्दिकी ने बंद को समर्थन देते हुए कहा कि टीएमसी एक तरफ केंद्र पर असंवैधानिक गतिविधियों का आरोप लगाती है, लेकिन खुद प्रशासनिक दबाव की स्थिति पैदा करती है।
लेफ्ट पार्टियों और कांग्रेस की ओर से पश्चिम बंगाल में बुलाए गए बंद का असर दिख रहा है। हालांकि, बीरभूम में आम जनजवीन सामान्य नजर आया। यहां लोग आराम से सड़क पर घूमते और दुकानों पर जुटे नजर आए। इसके अलावा बसों का संचालन भी जारी रहा। बता दें कि लेफ्ट फ्रंट ने शुक्रवार को पूरे बंगाल में चक्का जाम की बात कही थी।
पश्चिम बंगाल में 12 घंटे के बंद का असर दिखने लगा है। कोलकाता के बाहर नॉर्थ 24 परगना जिले में लेफ्ट पार्टी कार्यकर्ताओं ने रेल के ट्रैक पर जमावड़ा लगा दिया और ट्रेनों का संचालन रोक दिया। बताया गया है कि लेफ्ट कार्यकर्ता अभी तक ट्रैक से नहीं हटे हैं। फिलहाल राज्य की अन्य जगहों पर भी लेफ्ट कार्यकर्ताओं द्वारा सड़क जाम करने की खबरें सामने आ रही हैं।