मतदाता को मतदान केंद्र तक लाने के लिए चुनाव आयोग ने कमर कसी
मतदाताओं से उनके मताधिकार का प्रयोग नि:शुल्क एवं निष्पक्ष तरीके से करने की अपील करने वाले संदेश सिर्फ दीवारों पर लगे पोस्टरों, होर्डिंगों और मीडिया विज्ञापनों में ही नहीं लगाए जा रहे हैं,

पश्चिम बंगाल में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में बेहतर मतदान फीसद पाने के लिए चुनाव आयोग ने कमर कस ली है। वह परंपरागत और आधुनिक दोनों ही माध्यमों का इस्तेमाल कर सघन अभियान चला रहा है। इस अभियान के लिए आयोग का 21 करोड़ रुपए से अधिक का बजट है। लिहाजा इन दिनों जहां एक ओर दीवारों पर पोस्टरों, होर्डिंग और विज्ञापनों के जरिये मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यूट्यूब पर वीडियो के माध्यम से भी मतदान की अपील की जा रही है। यहां तक कि आयोग मतदान के दिन मतदाता को एसएमएस के जरिये वोट डालने की याद भी दिलाएगा। मतदान प्रतिशत बढ़ाने और ईमानदारी से मतदाता को प्रोत्साहित करने के लिए चुनाव आयोग इन दिनों पश्चिम बंगाल में धुआंधार प्रचार कर रहा है। इस प्रचार अभियान के तहत आयोग का प्रमुख ध्यान महिला और युवा मतदाताओं पर है।
मतदाताओं से उनके मताधिकार का प्रयोग नि:शुल्क एवं निष्पक्ष तरीके से करने की अपील करने वाले संदेश सिर्फ दीवारों पर लगे पोस्टरों, होर्डिंगों और मीडिया विज्ञापनों में ही नहीं लगाए जा रहे हैं, ये संदेश यूट्यूब पर वीडियो के माध्यम से भी भेजे जा रहे हैं। लोक कलाओं से जुड़े कलाकार भी लोगों से मतदान की अपील कर रहे हैं और यातायात सिग्नल पर भी मतदाताओं से अपील करने वाली घोषणाएं की जा रही हैं।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक,‘हम हर उपलब्ध माध्यम का प्रयोग कर मतदाताओं को बता रहे हैं कि लोगों को मतदान करना चाहिए और बिना किसी बाधा या प्रलोभन के करना चाहिए। हम ‘ईमानदार मतदान’ को बड़े तौर पर प्रोत्साहित कर रहे हैं। महिलाओं, युवा और विकलांग मतदाताओं पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।’
सिस्टमेटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन (स्वीप) कार्यक्रम के तहत चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य मतदाताओं को शिक्षित बनाना और निर्बाध मतदान सुनिश्चित करना है। इस अभियान का बजट 21 करोड़ रुपए से अधिक है। अधिकारियों ने कहा कि उनकी योजना मोबाइल नेटवर्क प्रदाताओं के साथ साझेदारी करने की है ताकि मतदाताओं को नियमित रूप से एसएमएस भेजे जा सकें। इन संदेशों के तहत उन्हें मतदान के दिन मतदान जरूर करने की बात भी याद दिलाई जाएगी। हालांकि पश्चिम बंगाल भारत का ऐसा राज्य है, जहां पारंपरिक रूप से मतदान फीसद ज्यादा रहता है, फिर भी 2011 के विधानसभा चुनाव (84.4 फीसद) की तुलना में 2014 के लोकसभा चुनाव (82.22 फीसद) में इस थोड़ी सी गिरावट देखी गई थी।
2006 के विधानसभा चुनावों में मतदान 81.7 फीसद रहा था। बाहरी प्रचार के लिए आयोग विभिन्न सरकारी विभागों के साथ साझेदारी कर रहा है ताकि उसे विभिन्न स्थानों पर लगे होर्डिंगों और इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड पर विज्ञापन की जगह मिल सके। राज्य की प्रतीक बन चुकी 18 वर्षीय अनन्या को चुनाव आयोग के चेहरे के रूप में सभी बाहरी प्रचार सामग्री में दिखाया गया है। प्रचार अभियान के तहत जो संदेश देखे जा रहे हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं- ‘नोटे नोए, वोटे थाकूं’ (नोटों के लिए नहीं लेकिन वोटों के लिए रुको), ‘आंगुले वोटर चिन्हो, एक एबोंग अनोन्यो’ (हाथ पर मतदान का स्याही का निशान, एकमात्र और बेहद खास) और ‘आमरा मा ओ मेई, एबार आमरा एक साथे वोट देबो’ (हम मां और बेटी हैं। इस बार हम एकसाथ वोट डालेंगे)।
क्रिकेट सनसनी बने विराट कोहली को भी चुनाव आयोग के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में विज्ञापनों का हिस्सा बनाया गया है। छोटे शहरों और गांवों में, लोक कलाकारों को ईमानदार मतदान और मताधिकार का इस्तेमाल करने की मतदाता की जिम्मेदारी जैसे विषयों पर गीत और नाटक बनाने के लिए एकजुट किया जा रहा है। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के अलावा, विशेष जोर इस बात पर दिया जा रहा है कि महिला मतदाताओं और शारीरिक रूप से अक्षम मतदाताओं का मतदान का प्रतिशत भी बढ़े। दिलचस्प बात यह है कि 2011 के चुनाव में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया था।