महिलाओं के खिलाफ हिंसा: आप विधायक, टेरी बॉस, फिल्मकार बने आरोपी
टेरी के आरके पचौरी, आप विधायक सोमनाथ भारती और ‘पीपली लाइव’ से प्रसिद्धि पाने वाले महमूद फारूकी समेत कई प्रतिष्ठित लोगों को यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोपों में इस साल दिल्ली की अदालतों में सुनवाई का सामना करना पड़ा..

टेरी के आरके पचौरी, आप विधायक सोमनाथ भारती और ‘पीपली लाइव’ से प्रसिद्धि पाने वाले महमूद फारूकी समेत कई प्रतिष्ठित लोगों को यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोपों में इस साल दिल्ली की अदालतों में सुनवाई का सामना करना पड़ा। इसी तरह के आरोपों में दिल्ली की एक अदालत ने उबर बलात्कार मामले में आरोपी चालक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
फारूकी के खिलाफ बलात्कार के मामले में पीड़िता एक अमेरिकी नागरिक थी। इसके अलावा सुर्खियों में रहने वाले विदेश नागरिकों संबंधी यौन उत्पीड़न के अन्य मामलों में जनवरी 2014 में डेनमार्क की एक महिला के सामूहिक बलात्कार का मामला और जून 2014 में युगांडा की एक महिला के सामूहिक बलात्कार का मामला है। इस मामले में दो युवकों को 30 साल कारावास की सजा सुनाई गई ।
इसके अलावा पांच दिसंबर 2014 को उबर बलात्कार मामले ने समाज को झकझोर कर रख दिया। इस मामले में आरोपी द्वारा पैदा की गई कानूनी बाधाओं के बावजूद फास्ट ट्रैक अदालत ने 11 महीने में आपराधिक मामले की सुनवाई पूरी करके 33 साल के चालक शिव कुमार यादव को जीवन भर के लिए जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया। इस बीच आप के विवादास्पद विधायक भारती के खिलाफ उनकी पत्नी लिपिका मित्रा ने घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया। वह आत्मसमर्पण करने से पहले कानून के साथ लुकाछिपी का खेल खेलते रहे। उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था।
इसी प्रकार टेरी का पद गंवाने वाले पचौरी को भी साकेत अदालत के चक्कर काटने पड़े। उनके खिलाफ एक अनुसंधानकर्ता ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। पीड़िता ने यह आरोप लगाते हुए संगठन से इस्तीफा दे दिया कि प्रबंधन उसके साथ उचित व्यवहार नहीं कर रहा।
अदालत ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में ‘उच्च सामाजिक स्तर’ वाले लोगों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और उनके गैर कानूनी कार्यों को ‘अक्षम्य’ बताया। अदालत ने धोखे में रख कर एक विधवा से विवाह करने वाले एनएचआरसी के पहले से ही विवाहित एक अधिकारी को सात साल कारावास की सजा सुनाई और शादी का झांसा देकर एक महिला सहकर्मी का यौन शोषण करने के मामले में पीडब्ल्यूडी के एक इंजीनियर को भी इसी प्रकार कड़ी सजा दी गई।
एक अन्य चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब एक सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश पर अपनी बहू के बलात्कार की कोशिश करने का आरोप लगाया गया। हालांकि सेवानिवृत्त न्यायाधीश को बाद में अग्रिम जमानत मिल गई।
एक अदालत ने एक नाबालिग लड़की के बलात्कार के मामले में एक वरिष्ठ नागरिक के साथ कोई भी नरमी बरतने से इनकार करते हुए उसे दस साल कारावास की सजा सुनाई। यह घटना मंगोलपुरी इलाके की है। इस साल एक ऐसा मामला सामने आया जिसने समाज की आत्मा को झकझोर कर रख दिया। अपनी नवजात बच्ची को मार कर उसे एक सीवर में फेंक देने के वीभत्स मामले में एक मां को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
अदालत ने कानूनों का दुरुपयोग करने पर भी चिंता जताई। शहर भर में अदालतों ने पाया कि निजी झगड़ों के चलते बलात्कार की कई झूठी शिकायतें दर्ज कराई गर्इं और एक न्यायाशीध ने कहा कि अब समय आ गया है जब झूठे मामले दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
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