Uttarakhand Board Exam : प्रदेश के शिक्षा विभाग ने जोशीमठ भूधंसाव से प्रभावित छात्र-छात्राओं की परेशानी को देखते हुए उन्हें बोर्ड परीक्षा के लिए किसी भी शहर को चुनने की छूट देने का निर्णय किया। जल्द ही प्रभावित छात्र-छात्राओं से परीक्षा केंद्र के लिए विकल्प मांगे जाएंगे। जबकि जेपी कालोनी में पूर्ण क्षतिग्रस्त 15 भवनों को तोड़े जाने का कार्य शीघ्र शुरू कर दिया जाएगा
प्रदेश के शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने कहा कि जोशीमठ भूधंसाव से प्रभावित छात्रों की परेशानी के मद्देनजर उन्हें बोर्ड परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र चुनने की छूट देने के निर्देश अधिकारियों को दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रभावित छात्र-छात्राओं से शीघ्र विकल्प मांगे जाएंगे। उन्होंने कहा कि भूधंसाव प्रभावित छात्रों को बोर्ड परीक्षा देने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए उन्हें अपनी सुविधानुसार किसी भी शहर में परीक्षा केंद्र चुनने की छूट देने का निर्णय किया गया है।
इसके लिए जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सूची तैयार कर शीघ्र संबंधित बोर्ड के अधिकारियों को प्रभावित छात्र-छात्राओं का विवरण उपलब्ध कराने को कहा है। रावत ने बताया कि जोशीमठ आपदा प्रभावित क्षेत्र के अधिकतर छात्र-छात्राएं उत्तराखंड बोर्ड व सीबीएससी के विद्यालयों में अध्ययनरत हैं। इस संबंध में सीबीएससी के क्षेत्रीय अधिकारी व उत्तराखंड बोर्ड के सचिव को प्रभावित छात्र-छात्रों को उनकी सुविधानुसार बोर्ड परीक्षा केंद्र आबंटित कराने के निर्देश दे दिए गए हैं।
उधर, उत्तराखंड में जोशीमठ भूधंसाव के विभिन्न पहलुओं से जुड़े अध्ययन में लगे केंद्रीय संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट देने के लिए मंगलवार को ‘समयसीमा’ तय की है। इस बीच, मारवाड़ी क्षेत्र स्थित जेपी कालोनी में अज्ञात भूमिगत स्रोत से हो रहा पानी का रिसाव और कम होकर 123 लीटर प्रति मिनट हो गया, जिससे प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
जोशीमठ में प्राकृतिक से ज्यादा परिस्थितिजन्य आपदा : टम्टा
एजंसी : वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा ने मंगलवार को उत्तराखंड सरकार पर जोशीमठ पर आसन्न खतरे को जानने के बावजूद ‘हाथ पर हाथ धरे बैठने’ का आरोप लगाते हुए कहा कि यह प्राकृतिक से ज्यादा परिस्थितिजन्य आपदा है। जोशीमठ में आपदा पीड़ितों से मिलने के बाद यहां पत्रकारों से बातचीत में टम्टा ने कहा कि प्राकृतिक से ज्यादा यह परिस्थितिजन्य आपदा है।
जोशीमठ नगर खतरे में है, यह जानते हुए भी हमारा सरकारी-तंत्र हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। इस संबंध में दशकों पहले गठित मिश्रा समिति का हवाला देते हुए टम्टा ने कहा कि 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जोशीमठ के भूधंसाव को लेकर पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट का पत्र मिलते ही इस क्षेत्र के बचाव के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे।
190 प्रभावित परिवारों को 2.85 करोड़ रुपए की राहत दी गई
जसं : उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रति परिवार विस्थापन के लिए अग्रिम के रूप में 190 प्रभावित परिवारों को 2.85 करोड़ रुपए की धनराशि वितरित कर दी गई है। सिन्हा देहरादून में पत्रकारों से बात कर रहे थे। आपदा प्रबंधन सचिव ने बताया कि अस्थाई रूप से चिह्नित राहत शिविरों में जोशीमठ में 615 कक्ष कमरे हैं जिनकी क्षमता 2190 लोगों की है।
पीपलकोटी में 491 कक्ष है जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। प्रभावितों को वितरित राहत राशि के तहत प्रति परिवार 5000 रुपए की दर से घरेलू राहत सामग्री के लिए अभी तक कुल 73 प्रभावितों को वितरित की गई है। तीक्ष्ण एवं पूर्ण क्षतिग्रस्त भवन के लिए 10 प्रभावितों को 13 लाख रुपए धनराशि दी गई है।