रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर जुलूस के दौरान पथराव की अलग-अलग घटनाओं के बाद हिंसा की खबरों के बाद स्थानीय प्रशासन ने उपद्रवियों के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए उस ‘बुलडोजर’ का इस्तेमाल किया, जो योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उनकी ‘पहचान’ बन गया है। विधानसभा चुनावों के दौरान भी बुलडोजर काफी चर्चा में रहा था। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बुलडोजर ने जो रफ्तार पकड़ी है, उसके बाद भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश में भी शिवराज सरकार ने अपराधियों और उपद्रवियों के खिलाफ बुलडोजर का खूब इस्तेमाल किया है। वहीं, दिल्ली के जहांगीरपुरी में हिंसा के बाद बुलडोजर का इस्तेमाल करना योगी के शासन और राजनीति के ‘स्टाइल’ को अपनाने की तरफ इशारा करता है।
भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारें, जो पहले ‘विकास के गुजरात मॉडल’ को अपना रही थीं, अब उनको ‘योगी मॉडल’ पसंद आने लगा है। भाजपा के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश और गुजरात सरकारों के बुलडोजर का इस्तेमाल, कर्नाटक-उत्तराखंड में इसको आगे बढ़ाने का संकल्प यह केवल एक उदाहरण भर है। हालांकि, इसका एक अन्य पहलू यह भी है कि जब केंद्रीय गृह मंत्री से लेकर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री ‘योगी मॉडल’ को अपनाते दिखाई दे रहे हैं, उस वक्त यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का सारा ध्यान गुजरात के ‘मोदी मॉडल’ पर है।
योगी आदित्यनाथ अपने दूसरे कार्यकाल में काफी अलग दिखाई दिए हैं। दूसरे कार्यकाल के दौरान उनके मुद्दों से निपटने के तौर-तरीकों की भी चर्चाएं रही हैं। सीएम योगी लगातार मंत्रियों और नौकरशाहों के साथ बैठकें ले रहे हैं। कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं।
दिल्ली के जहांगीरपुरी में हिंसा के बाद सीएम योगी ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। अक्षय तृतीया और ईद को देखते हुए पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दीं। देश में इन दिनों अजान के दौरान मस्जिदों से लाडउस्पीकर हटाने और हनुमान चालीसा के पाठ कराने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।
यूपी में इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए योगी आदित्यनाथ ने परिसर के भीतर लाउडस्पीकर के आवाज को सीमित करने के निर्देश जारी किए। सीएम के निर्देश के बाद प्रशासन धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के अभियान में जुट गया है। कई मंदिरों और मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा लिए गए हैं या फिर उनकी आवाज कम कर दी गई है।
रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान जब देश के कई राज्यों (गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा) में जुलूस निकाले जा रहे थे, उस वक्त बजरंग दल और विहिप के कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश में वैसा उत्साह नहीं दिखा पाए थे। 2002 के बाद गुजरात में ऐसा ही कुछ देखने को मिला था जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे।