उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पर 10 मई को हमला हुआ था। राजभर ने बताया था की ये हमला तब हुआ जब वो एक ब्रह्मभोज कार्यक्रम में शामिल होने के लिए एक गाँव में गए थे। राजभर ने आरोप लगते हुए कहा था कि ये हमला ऊँची जाति के दबंग लोगों द्वारा किया गया और उनके सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें बचाया था।
घटना के बाद ओम प्रकाश राजभर ने हमले की सूचना एसपी, एडीजी समेत सभी को दी थी और 16 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। लेकिन गाजीपुर के करीमुद्दीन थाने में बीजेपी कार्यकर्ताओं की तहरीर पर ओम प्रकाश राजभर सहित 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा किया गया। वहीं इसके बाद राजभर ने कहा था कि वो इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे और उन्होंने मंगलवार को उठाया भी।
ओम प्रकाश राजभर के द्वारा उठाये गए सवाल पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने जवाब देते हुए कहा, “मुकदमा दोनों तरफ से दर्ज कराया गया है और इस पूरे मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच की जाएगी। पुलिस महानिरीक्षक कानून व्यवस्था की तरफ से जो रिपोर्ट आई है, उसमे बताया गया कि विवाद दोनों तरफ से शुरू हुआ और दोनों पक्षों की ओर से मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। इसमें पूरा दूध का दूध और पानी का पानी होगा।”
वहीं सुरेश खन्ना के बयान पर असहमति जताते हुए ओपी राजभर ने कहा, “मेरे खिलाफ तीन तहरीर दी गई है। पहली तहरीर में मेरे खिलाफ लिखा गया कि मैंने गाय चराने पर जान से मारने की धमकी दी। दूसरी तहरीर में मेरे ऊपर जमीन कब्जा करने का आरोप लगाया गया। वहीं तीसरी तहरीर रात को 11 बजे दी गई। आप इस घटना की किसी भी मजिस्ट्रेट से जांच करवा लीजिए, अगर मैं दोषी साबित हुआ तो मैं इसी सदन से इस्तीफा देकर चला जाऊंगा। बस मेरा कसूर बता दीजिये।”
वहीं ओम प्रकाश राजभर के समर्थन में आखिलेश यादव ने कहा, “राजभर जी माननीय नेता सदन हैं और पहले वो आपके साथ थे और अब हमारे साथ आ गए हैं। इतनी दुश्मनी नहीं होनी चाहिए और उन्हें न्याय मिलना चाहिए।”