उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कथित तौर पर ‘आपत्तिजनक टिप्पणी’ करने के मामले में सूबे की पुलिस ने तीन और एफआईआर दर्ज किए हैं। इस तरह के मामलों की कुल संख्या अब 9 पहुंच चुकी है। सोमवार को कन्नौज पुलिस ने संतोष कुमार गुप्ता नाम के शख्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। संतोष पर आरोप है कि उन्होंने एक वॉट्सऐप ग्रुप में योगी आदित्यनाथ की एक मॉर्फ्ड तस्वीर अपलोड की। छिबरामऊ पुलिस स्टेशन के ऑफिसर विजय वर्मा ने बताया, ‘शिकायतकर्ता भी उसी वॉट्सऐप ग्रुप का सदस्य है। पुलिस ने गुप्ता पर मानहानि और इन्फॉर्मेशन एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया है।’ पुलिस के मुताबिक, संतोष कुमार गुप्ता कन्नौज के बजरी इलाके के रहने वाले हैं और फिलहाल फरार चल रहे हैं।
वहीं, दूसरे मामले में बस्ती की शहर कोतवाली पुलिस ने विजय यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। यादव पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर यूपी के सीएम के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की। कोतवाली एसएचओ महेंद्र प्रताप ने कहा, ‘विजय यादव पर सीएम की मॉर्फ्ड तस्वीर के संबंध में फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का मामला दर्ज किया गया है। उनकी तलाश की जा रही है।’ उधर, तीसरा मामला गोरखपुर का है, जहां पुलिस ने सोमवार को 40 वर्षीय राम प्रकाश यादव को गिरफ्तार किया। राम प्रकाश पर आरोप है कि उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप में योगी आदित्यनाथ की मॉर्फ्ड तस्वीर अपलोड की है। शाहपुर पुलिस स्टेशन के एसएचओ राकेश कुमार ने बताया, ‘सत्येंद्र कुमार की शिकायत पर पुलिस ने यादव के खिलाफ मामला दर्ज किया है। वह गोरखपुर के एक नर्सिंग होम में मैनेजर हैं। उनपर आईपीसी के सेक्शन 305 और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।’ उन्होंने बताया कि यादव को गिरफ्तार करने के बाद एक स्थानीय अदालत के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योगी पर आपत्तिजनक ट्वीट करने के आरोपी पत्रकार प्रशांत कनौजिया को तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि संविधान में प्रदान किया गया स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार पवित्र है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता। पत्रकार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कनौजिया को जमानत देने का अर्थ उसकी पोस्ट या ट्वीट को स्वीकृति देना नहीं निकाला जा सकता। जस्टिस इन्दिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोड़ा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। जगीशा ने कनौजिया की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। जगीशा ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे संविधान में उसका विश्वास और दृढ़ हुआ है।

