दलितों पर हाल ही में हुए हमलों से आलोचना झेल रही भाजपा के एक वर्ग का मानना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में पार्टी को दलित नेता को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में उतारना चाहिए। पूर्व मंत्री और आगरा से सांसद रामशंकर कथेरिया ने बताया, ”यह फैसला पार्टी का पार्लियामेंट्री बोर्ड करेगा, फिर चाहे वे दलित हो या सवर्ण हो। हम सभी जातियों के विकास में विश्वास करते हैं। लेकिन यदि एक दलित को उम्मीदवार बनाया जाता है तो इससे पार्टी की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। ” आगरा में दलितों की आबादी लगभग आठ लाख है और राज्य में सर्वाधिक दलित आबादी वाले जिलों में से एक हैं।
उन्होंने माना कि यूपी की लगभग एक चौथाई आबादी दलित है और वे मायावती के वोटर हैं। उन्होंने कहा, ”मायावती के वोटों में सेंध लगाए बिना आप चुनाव नहीं जीत सकते।” उन्होंने बताया कि 2014 आम चुनावों में मायावती के कई मतदाताओं ने भाजपा और मोदीजी को वोट दिया था। यूपी में एससी आबादी के लगभग 22 प्रतिशत वोट हैं और इनमें से 60 प्रतिशत जाटव हैं। मायावती इसी समाज से आती हैं। 2014 चुनावों में जब भाजपा ने अपना दल के साथ मिलकर 80 में से 73 सीटें जीती थी तो भाजपा को 43 फीसदी वोट मिले थे। लेकिन बसपा ने बिना एक भी सीट जीते 20 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। इससे पता चलता है कि उसके वोट बैंक में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ।
कथेरिया ने कहा, ”जब किसी समाज के व्यक्ति को बड़े पदों पर नियुक्त किया जाता है तो इससे अच्छा संदेश जाता है। वर्तमान स्थिति में दलित सीएम उम्मीदवार पार्टी के लिए निश्चित फायदा लाएगा।” राम शंकर कथेरिया मानव संसाधन राज्य मंत्री के पद पर थे लेकिन पिछले महीने हुए मंत्रीमंडल फेरबदल में उन्हें हटा दिया गया था। वर्तमान में भाजपा के पास यूपी में मायावती की टक्कर का कोई दलित नेता नहीं हैं। पिछले कुछ महीनों से कथेरिया लगातार मायावती के खिलाफ बोल रहे हैं और रैलियां कर रहे हैं। कथेरिया मायावती पर दलितों के मतों का अपने निजी फायदे के लिए उपयोग करने का आरोप लगाते हैं। उन्होंने कहा, ”दलितों के उत्थान के लिए भाजपा ने दो बार मायावती को सीएम बनाया। लेकिन वह फेल रही। भाजपा ने उन्हें अच्छी मंशा से सीएम बनाया था लेकिन दलितों का विकास न के बराबर हुआ।”