समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरशाद खान ने आजम खान और अखिलेश यादव को लेकर बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि जब सपा प्रमुख आजम से मिलने अस्पताल गए थे, तो दोनों में कोई डील हुई थी। दोनों ने एक-दूसरे की बातें मान लीं, इसलिए दोनों ने मिलना शुरू कर दिया।
ये वही इरशाद खान हैं जो कभी आजम खान के करीबी थे और उनके लिए अखिलेश यादव को भी भला बुरा कह गए थे। अब उन्होंने आजम और सपा दोनों से नाता तोड़कर बसपा से हाथ मिला लिया है।
इरशाद खान ने कहा, “आजम खान अपना इलाज कराने दिल्ली गए और अखिलेश भी उनसे मिलने दिल्ली पहुंच गए। मिलने के नाम पर दोनों नेताओं ने अकेले करीब 1 घंटा बातचीत की। उनके लोगों ने ही बताया कि अखिलेश जी आए थे और दोनों नेताओं के बीच डील हो गई। अखिलेश ने आजम की मान ली और आजम ने अखिलेश की बातें मान लीं। हमें तो लगता है कि जो राज्यसभा गए और जिन्हें एमएलसी भेजा गया उसमें तय हो गया। तो जब आजम को लगा कि हमारी मर्जी के मुताबिक काम हो गया तो दोनों मिलने लगे।”
इरशाद खान ने आजम खान को लेकर कहा कि जब मुझे लगा कि मेरी इतनी पैरवी करने के बाद भी ना यहां सम्मान मिल रहा ना वहां सम्मान मिल रहा है। जब मुझे लगा कि उनका काम निकल गया है और अखिलेश से वार्ता हो गई और सब काम हो गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि आजम खान के कहने पर ही उन्होंने सब किया और आजम कई बार दबे लफ्जों में यह कहते दिखे कि मैंने जो किया उसके लिए उन्होंने मुझसे नहीं कहा था।
इतना ही नहीं इरशाद खान ने समाजवादी पार्टी में सम्मान ना मिलने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “मैं साढ़े 3 से 4 साल के बीच सपा में रहा और इस दौरान अखिलेश से मेरी 4-5 बार ही मुलाकात हुई होगी। जब भी उनसे मेरी मुलाकात हुई तो मैं संतुष्ट नहीं था। ना तो सम्मान मिलता था और देखता था कि पार्टी कार्यालय में पूरे प्रदेश से आए हुए लोगों को बड़े कष्ट हो रहे हैं। इनमें से वो किसी से मिलते थे किसी से नहीं। इस सबसे मेरे दिमाग पर असर पड़ा क्योंकि मैं 20 साल बीएसपी में काम कर चुका था।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पार्टी में आजम से जुड़े लोगों को सम्मान नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि वो अजाम के जरिए सपा से जुड़े थे, जिस वजह से अखिलेश ने उन्हें महत्व नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी के मुखिया ऐसा मानते हैं कि ये आजम के आदमी हैं और ये मेरे आदमी हैं। एक पार्टी का मुखिया जब इस तरह का भेदभाव करता है तो मुझे लगता है कि आजम से जुड़े होने के कारण मुझे सपा में महत्व नहीं मिला।
उन्होंने यह भी कहा कि आजम को जब अखिलेश महत्व नहीं देते तो वो ले लेते हैं ये उनकी कला है। उन्होंने कहा, “मैं सोचता हूं कि जब हमारे समाज के इतने बड़े नेता को अपनी बात मनवाने के लिए कभी-कभी इतनी मशक्कत करनी पड़ती है, तो सोचो यूपी के मुस्लिम समाज का क्या हाल होगा।”