UP News: चुनावों के दौरान अक्सर मतदाता सूची (Voter List) से नाम गायब होने के मामले सामने आते हैं। ऐसे ही उत्तर प्रदेश की एक महिला का नाम वोटर लिस्ट से काटना अधिकारियों को भारी पड़ गया। दलित महिला ने यूपी में मतदाता सूची से अपना नाम गायब पाने के बाद अदालत में लड़ाई लड़ी।
Uttar Pradesh में वोटर लिस्ट से दलित महिला का नाम गायब
गौतम बुद्ध नगर जिले के रोशनपुर गांव की रहने वाली हेमलता घर और खेत का काम देखती हैं, जबकि उनके पति महेंद्र कुमार एक मजदूर हैं। हेमलता का कहना है कि उनका नाम 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची से हटा दिया गया था। उनका कहना है, “वे मतदाता सूची से मेरा नाम कैसे हटा सकते हैं? क्या मैं मर गया हूं? आज आप मुझे वोट नहीं देने दे रहे हैं, कल आप राशन कार्ड से मेरा नाम हटा सकते हैं, फिर जमीन के रिकॉर्ड से, यह अन्याय कहां खत्म होगा?”
हेमलता ने साल 2022 में अदालत का रुख किया कि उसे जाति के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिसके बाद एससी/एसटी कोर्ट के आदेश के बाद गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने मंगलवार को तीन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की।
Voter List से नाम काटने पर किया अदालत का रुख
चुनाव के दिन को याद करते हुए हेमलता ने बताया, “मैं हर किसी की तरह मतदान करने के लिए लाइन में खड़ी थी। लेकिन जब मेरी बारी आई तो बूथ पर मौजूद मतदान अधिकारियों ने कहा कि मेरा नाम रिकॉर्ड में नहीं है, इसे हटा दिया गया है। यह बहुत ही असामान्य था। अगर मैंने 2017 के चुनाव में मतदान किया, तो अब मुझे मतदान से कैसे अयोग्य ठहराया जा सकता है?”
ज्यादातर लोगों ने इसे सरकारी गलती मान कर चलने दिया होता, लेकिन हेमलता चुप नहीं रहीं। उनका कहना है, “मतदाता सूची से सिर्फ मेरा नाम नहीं हटाया गया था, लेकिन जो लोग बोलते नहीं हैं, वे परिणामों से डरते हैं इसलिए मैंने सोचा कि मुझे इससे लड़ना चाहिए।” पहले उन्होंने संबंधित थाने में और फिर पुलिस कमिश्नरेट में शिकायत की। जब कुछ नहीं हुआ, तो हेमलता ने जिले के एससी/एसटी कोर्ट का रुख किया।
SDM सहित 5 के खिलाफ FIR
23 नवंबर, 2022 को विशेष न्यायाधीश ज्योत्सना सिंह ने पुलिस को तत्कालीन अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (सदर) और दो तहसीलदारों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया। फैसले के 60 दिन बाद दनकौर पुलिस ने पूर्व सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (सदर) रजनीकांत, तत्कालीन तहसीलदार विनय कुमार भदौरिया और अखिलेश सिंह के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की। इसके अलावा FIR में 4-5 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है।
अदालत ने कहा था कि एक सप्ताह के भीतर मामला दर्ज किया जाना चाहिए, लेकिन इसका अनुपालन नहीं किया गया। हेमलता को एक बार फिर जिले के संबंधित एसएचओ और एसीपी के खिलाफ शिकायत करते हुए और आदेश को लागू करने की मांग करते हुए अदालत का रुख करना पड़ा। उनके वकील राज कुमार ने कहा, “पुलिस ने 12 जनवरी को आदेश का पालन नहीं करने के लिए कुछ कारणों का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। पुलिस के अनुसार मामले की जांच सहायक पुलिस आयुक्त-3 (ग्रेटर नोएडा) कर रहे हैं।
(Story by Dheeraj Mishra)