अगले साल यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पंचायत चुनाव को सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। पंचायत चुनाव नतीजों ने सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। दरअसल समाजवादी पार्टी द्वारा समर्थित 760 उम्मीदवार जिला पंचायत वार्डों में कामयाब रहे हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी समर्थित उम्मीदवार 750 सीटों पर सफल रहे हैं। वहीं बीएसपी अभी तक 381 सीटें जीत गई है। इसके अलावा कांग्रेस को भी 76 सीटें मिली हैं। हालांकि निर्दलीय प्रत्याशियों ने सबसे ज्यादा सीटें जीती है। जारी आंकड़ों के अनुसार 1083 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने कब्ज़ा जमाया है। नतीजों के लिए दो मई को शुरू हुई मतगणना अभी कुछ एक सीटों पर जारी है।
चुनाव प्रचार के लिए पूरी कोशिश नहीं करने को लेकर आलोचना झेलने के बावजूद, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के लिए अनुकूल चुनाव परिणाम सामने आए हैं। दूसरी ओर, योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार को कोविड -19 संकट से निपटने में विफलता के चलते नुकसान झेलना पड़ा है। रुझानों से संकेत मिलता है कि यहां तक कि छोटे से छोटे गांवों में भी भाजपा का व्यापक अभियान भी उम्मीद के मुताबिक नतीजे देने में विफल रहा है।
झांसी में भाजपा और सपा दोनों ही दलों को आठ सीटें मिली है। जबकि बीएसपी के खाते में सिर्फ पांच सीटें आई हैं और कांग्रेस को एक सीट से ही संतोष करना पड़ा है। गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की भतीजी और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन मैनपुरी की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संध्या यादव जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गईं।
उत्तर प्रदेश में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी के बेटे सहित अनेक सूरमाओं के रिश्तेदारों को पराजय का सामना करना पड़ा है।
बता दें कि पहले चरण में 15 अप्रैल, दूसरे में 19 अप्रैल, तीसरे में 26 अप्रैल और चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान संपन्न हुआ। राज्य में चारों चरणों में ग्राम पंचायत प्रधान के 58,194, ग्राम पंचायत सदस्य के 7,31,813, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 75,808 तथा जिला पंचायत सदस्य के 3,051 पदों के लिए मत डाले गये थे। इनमें से कुछ पदों पर निर्विरोध निर्वाचन भी हो चुका है।