सुशील राघव
सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें दोपहिया चलाने वालों की होती हैं और इनमें भी उन चालकों की संख्या अधिक होती है जो या तो हेलमेट नहीं पहनते या जो हेलमेट पहनते हैं लेकिन उसका पट्टा (स्ट्रैप) नहीं बांधते हैं। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली के छात्रों ने खुद से पट्टा कसने (सेल्फ स्ट्रैपिंग मैकेनिज्म) वाला हेलमेट विकसित किया है। इससे हर साल देश में होने वाली हजारों दोपहिया चालकों की मौतों को 42 फीसद तक कम किया जा सकता है। आइआइटी दिल्ली के छात्रों द्वारा शुरू किए गए इंडियन रोड सेफ्टी कैंपेन (आइआरएससी) के अंतर्गत ही हेलमेट प्रोजेक्ट ‘कैस्क’ शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े और कैमिकल इंजीनियरिंग से बीटेक कर रहे प्रथम बाहेती ने बताया कि बिना पट्टे या ढीले पट्टे का हेलमेट लगाना, हेलमेट नहीं लगाने के बराबर ही है। उन्होंने बताया कि हमने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के ट्रॉमा सेंटर के डाटा का अध्ययन किया जिससे पता चला है कि हेलमेट का पट्टा ढीला होने की से वह दुर्घटना के समय सिर से उतर जाता है जिससे सिर पर चोट लगने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है और इससे ब्रेन हेमरेज होने का खतरा भी बहुत बढ़ जाता है।
प्रथम के मुताबिक हमने एक सर्वे किया जिसमें पता चला कि दिल्ली के 50 फीसद दोपहिया चालक पुलिस के डर से हेलमेट पहनते हैं और जो पहनते हैं उनमें से भी आधे हेलमेट का पट्टा नहीं लगाते हैं। इसी समस्या को देखते हुए हमने सेल्फ स्ट्रैपिंग मैकेनिज्म हेलमेट विकसित किया है। इस हेलमेट के पट्टे को चालक ढीला नहीं छोड़ सकेगा। इसके अलावा एक बटन दबाकर इसे आसानी से खोला जा सकता है। प्रथम के अलावा इस टीम में रोहन सांघी, आदित्य गुप्ता, सलिल ढाका और तुषार मौर्य भी शामिल हैं। ये सभी आइआइटी दिल्ली से अलग-अलग शाखाओं में बीटेक कर रहे हैं। यह प्रोजेक्ट प्रोफेसर संजीव सांघी और प्रोफेसर पुनीत महाजन की देखरेख में चल रहा है। इसमें एम्स ट्रॉमा सेंटर की डॉक्टर सुषमा सागर भी सहायता कर रही हैं।
हेलमेट का वजन किया जाएगा कम
टीम के एक अन्य सदस्य सलिल ढाका ने बताया कि हम हेलमेट के वजन को कम करने पर भी काम कर रहे हैं। उनके मुताबिक औसत हेलमेट का वजन 1700 ग्राम होता है और वह कोशिश कर रहे हैं कि इसके वजन को 1200 ग्राम तक लाया जाए।
उन्होंने बताया कि एम्स से मिले डाटा के अनुसार दुर्घटना के समय चालक के सिर के साइड में सबसे अधिक चोट लगती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हेलमेट के किनारों को और मजबूत किया जा रहा है। साथ ही हेलमेट में हवा आने जाने का तंत्र भी विकसित किया जा रहा है। प्रथम का कहना है कि अगले साल मई में हम दूसरा प्रोटो-टाइप पेश करेंगे और जल्द से जल्द बाजार में लगाने की कोशिश करेंगे।
’33.8 फीसद सड़क दुघटनाओं में
दोपहिया शामिल थे
’34.8 फीसद मौतें दोपहिया सवारों की हुई थी
52500 मौते हुईं दोपहिया सवारों की
’10135 ने नहीं पहना था हेलमेट
(स्रोत – द एक्सीटेंड्स इंडिया 2016 रिपोर्ट,
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय)