पुरी के जगन्नाथ मंदिर में चूहों ने अधिकारियों की रातों की नींद खराब कर रखी है। मंदिर में यह चूहे भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की पोशाक तक चबा गए हैं। आशंका इस बात की है कि यह चूहे लकड़ी के देवताओं को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। मंदिर के पुजारियों के मुताबिक चूहे देवाताओं के कपड़े कुतर गए और सजावट के लिए रखी मालाओं सहित प्रसाद भी खा गए हैं।
वरिष्ठ सेवक बिनायक दशमोहापात्र के मुताबिक “देवताओं के अंग (पवित्र लकड़ी के शरीर) को कोई नुकसान नहीं हुआ, हालांकि चूहों ने पोशाक, फूल और तुलसी के पत्तों को नुकसान पहुंचाया है।
आमतौर पर रात के समय मंदिर बंद होने के बाद चूहों का आतंक बढ़ जाता है। चूहे पवित्र वेदी के ऊपर छिपते हैं, नीचे चढ़ते हैं और हंगामा करते हैं। सोमवार के अनुष्ठान में मौजूद एक अन्य सेवक रामचंद्र दशमोहापात्रा ने कहा, “हमने मंदिर प्रशासन से इस खतरे को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने का अनुरोध किया है।”
देवताओं के लकड़ी के शरीर को चूहों द्वारा नुकसान पहुंचाने के संबंध में सेवादारों की चिंता के जवाब में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि वे इसे लेकर कदम उठा रहे हैं। एसजेटीए के एक अधिकारी ने कहा, “देवताओं को नियमित रूप से चंदन और कपूर से पॉलिश किया जा रहा है।”
इस मामले में मंदिर प्रशासन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के हस्तक्षेप करने के लिए कहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ओडिशा के सबसे लोकप्रिय धार्मिक स्थल की रखरखाव की देखभाल करता है। सेवक दशमोहापात्रा ने कहा कि मंदिर प्रशासन और केंद्रीय निकाय द्वारा समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है ताकि मंदिर को चूहों से मुक्त किया जा सके।
हर सुबह देवताओं को तैयार करने वाले सेवकों ने कहा कि गर्भगृह के अंदर कई चूहों और तिलचट्टों की मौजूदगी के कारण उन्हें अनुष्ठान करने में मुश्किल होती है। एक सेवादार ने कहा, ‘मंदिर में चूहों और कॉकरोच की समस्या सालों से बनी हुई है।’