तमिलनाडु के गवर्नर विद्यासागर राव ने जल्लीकट्टू अध्यादेश को दी मंजूरी, मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम आयोजन को दिखाएंगे हरी झंडी
तमिलनाडु के गवर्नर ने जल्लीकट्टू अध्यादेश को दी मंजूरी, मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम आयोजन को दिखाएंगे हरी झंडी

तमिलनाडु के गवर्नर सी विद्यासागर राव ने आज (शनिवार को) जल्लीकट्टू पर आपातकालीन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही इस सांस्कृतिक आयोजन पर लगा प्रतिबंध खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में इस आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया था और अभी हाल ही में इस पर से बैन हटाने की तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद पूरे राज्य में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हुए। अब माना जा रहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम जल्द ही जल्लीकट्टू आयोजन को हरी झंडी दिखाएंगे।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह (21 जनवरी को) जल्लीकट्टू के समर्थन में ट्वीट किया, ‘हम लोगों को तमिलनाडु की संपन्न संस्कृति पर गर्व है। तमिल लोगों की सांस्कृतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हरसंभव कोशिश की जाएगी।’ दूसरे ट्वीट में मोदी ने लिखा, ‘केंद्र सरकार तमिलनाडु के विकास के लिए हर कदम उठाने को तैयार है।’ इससे पहले केंद्र सरकार ने जल्लीकट्टू के लिए आए अध्यादेश के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी थी।
गौरतलब है कि जल्लीकट्टू पर लगे बैन को हटाने के लिए तमिलनाडु समेत पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2014 में जल्लीकट्टू पर फैसला दिया था। उसमें इस खेल में सांडों के प्रयोग को बंद करने का ऐलान किया था। साथ ही कहा था जो भी ऐसा करेगा तो माना जाएगा कि उसने कानून तोड़ा है।
दरअसल, जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक परंपरागत खेल है, जिसमें बैल को काबू में किया जाता है। यह खेल काफी सालों से तमिलनाडु में लोगों द्वारा खेला जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है। इस खास मौके पर जल्लीकट्टू के अलावा बैल दौड़ का भी काफी जगहों पर आयोजन किया जाता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि जल्लीकट्टू तमिल शब्द सल्ली और कट्टू से मिलकर बना है। जिनका मतलब सोना-चांदी के सिक्के होता है जो कि सांड के सींग पर टंगे होते हैं। बाद में सल्ली की जगह जल्ली शब्द ने ले ली ।
आंकड़ों के अनुसार 2010 से 2014 के बीच जल्लीकट्टू खेलते हुए 17 लोगों की जान गई थी और 1,100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। वहीं पिछले 20 सालों में जल्लीकट्टू की वजह से मरने वालों की संख्या 200 से भी ज्यादा थी। इस वजह से साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ क्रूअलटी टू एनिमल एक्ट के तहत इस खेल को बैन कर दिया था।
Tamil Nadu Governor Vidya Sagar Rao gives his concurrence for the emergency ordinance to hold Jallikattu: AIADMK
— ANI (@ANI_news) January 21, 2017