जल्लीकट्टू बैन: भड़के सद्गुरु जग्गी वासुदेव, कहा- क्रिकेट बॉल भी खतरनाक है, उसे भी बैन कर दो
सुप्रीम कोर्ट ने एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स की याचिका पर 2014 में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था।

जल्लीकट्टू पर्व को लेकर फिलहाल तमिलनाडु में हालात गंभीर हैं। राज्य में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं और नामचीन शख्सियतों ने इस त्योहार के समर्थन में आवाज उठाई है। तमिलनाडु के सीएम ओ पन्नीरसेल्वम गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले और उन्हें हालात से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि ‘मैंने पीएम को पत्र दिया है जिसमें मैंने कहा है कि जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध हटना चाहिए और केंद्र को इस पर अध्यादेश लाना चाहिए।” पन्नीरसेल्वम ने कहा कि पीएम ने पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया है। दूसरी तरफ, कई धार्मिक नेताओं ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध की कड़ी आलोचना की है। सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने पूछा है कि ‘तो क्या आप क्रिकेट बॉल को भी बैन कर देंगे? क्रिकेट की गेंद खतरनाक होती है और कई खिलाड़ियों के लिए जानलेवा साबित हो चुकी है।” आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर ने कहा कि तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
उधर दिल्ली में, पीएमके सांसद अंबुमणि रामदौस 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास के बाहर जल्लीकट्टू के समर्थन में धरने पर बैठ गए। हालांकि पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। कोलीवुड अभिनेता विशाल ने इस मुद्दे पर कहा कि ‘यह कोई विरोध नहीं है, यह क्रांति है। आवाज केंद्र तक पहुंचनी चाहिए और उन्हें अध्यादेश लाना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स की याचिका पर 2014 में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था। जल्लीकट्टू, पोंगल के दौरान मनाया जाने वाला त्योहार है। पिछले दो साल से जल्लीकट्टू का आयोजन नहीं हुआ था और इस साल भी तमिलनाडु द्वारा केंद्र से बार-बार अध्यादेश जारी करने की अपील के बावजूद इस साल भी इसका आयोजन नहीं किया जा सका।
कोर्ट में इस आयोजन पर प्रतिबंध लगवाले वाले पशु अधिकार अधिकार संगठन ‘पेटा’ पर ही प्रतिबंध की मांग को लेकर हजारों युवा राज्यभर में प्रदर्शन कर रहे हैं। बुधवार को चेन्नई के मरीना बीच पर हजारों लोग इकट्ठे हो गए। इनमें अधिकतर छात्र और युवा थे। पूरे दिन ये छात्र अपनी मांग को लेकर मरीना बीच पर डटे रहे।
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