ओमप्रकाश ठाकुर
साढ़े चार साल से सत्ता में रहने के बाद प्रदेश भाजपा और जयराम ठाकुर सरकार अब पार्टी की चुनावी नैया पार लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बाकी केंद्रीय नेताओं के सहारे की बाट जोह रही है। 2017 का विधानसभा चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के चेहरे के सहारे जीता गया था और पार्टी 40 से ज्यादा सीटें जीती थी। लेकिन धूमल चुनाव हार गए थे।
लेकिन अबकी बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की माने तो चुनावों में चेहरा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ही होंगे। लेकिन भाजपा उपचुनावों में उन्हीं के चेहरे के दम पर चुनाव मैदान में कूदी थी और चारों सीटें हारी ही नहीं बल्कि जुब्बल कोटखाई विधानसभा हलके में भाजपा प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो गई थी। विश्व में सबसे बड़ी पार्टी का दम भरने वाली भाजपा की उस समय हिमाचल ही नहीं, देश भर में खूब फजीहत हुई थी।
लेकिन उपचुनावों में न तो प्रधानमंत्री कहीं नजर आए थे और न ही गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश का रुख किया था। और तो और हिमाचल से भाजपा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तक हिमाचल नहीं आए थे। भाजपा के नेता मानते हैं कि अगर उपचुनावों में आलाकमान भी कूद जाता तो भाजपा की हार नहीं होती बेशक दो ही सीटें जीत ली जाती। बहरहाल, उपचुनावों की हार के बाद से ही भाजपा के नेताओं ने तय कर दिया था कि चुनावी साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी और राजनाथ सरीखे नेताओं के कई दौरे करा कर भाजपा के पक्ष में हवा बनाने का काम किया जाएगा।
इसी कड़ी में 31 मई मोदी सरकार के आठ साल पूरा होने पर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हिमाचल का दौरा तय करने की कोशिश की जा रही है। उसके चंद दिनों बाद धर्मशाला में देश भर के मुख्य सचिवों का धर्मशाला में अधिवेशन रखा गया है। इसमें भी प्रधानमंत्री को बुलाया जा रहा है। वे आएंगे या नहीं यह भी तय नहीं है।
लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और प्रदेश भाजपा के नेता पूरी कोशिश में हैं कि केंद्रीय नेताओं के ज्यादा से ज्यादा दौरे करवाएं जाए। हालांकि कहा जा रहा है कि हमीरपुर में उन्हें धूमल के समांतर नेता खड़ा करने की कोशिश हो रही है। वहीं प्रदेश भाजपा व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अभी से दिन-रात लोगों के बीच जाकर जनता की नब्ज टटोलने की कोशिश कर रहे हैं। कई तरह के सर्वे भी कराए जा रहे हैं। बाहरी राज्यों से आई कई टीमें प्रदेश के दौरे कर रही हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि जनता से मनमाफिक रुझान नहीं मिल रहा है।
पार्टी के नेताओं की माने तो प्रधानमंत्री व बाकी केंद्रीय नेताओं के दौरे कराने के पीछे भी एक रणनीति काम कर रही है। जो भी केंद्रीय नेता आएगा वह जयराम की पीठ तो थपथपाएगा ही। ऐसे में अगर मिशन रिपीट कामयाब होता है तो जयराम ठाकुर हिमाचल के एकछत्र नेता हो जाएंगे। अगर चुनावों में हार मिलती है तो हार की कुछ जिम्मेदारी केंद्रीय नेताओं के सिर पर भी डाली जा सकती है।
उपचुनावों में मिली हार का ठीकरा तो भाजपा ने उस समय महंगाई पर फोड़ ही दिया था। अब केंद्रीय नेताओं के चुनावी साल में प्रदेश के दौरे कितने कारगर साबित होंगे यह तो समय ही बताएगा लेकिन यह तय है कि जब तक भाजपा के भीतर छिड़ी अंदरूनी जंग खत्म नहीं होती तब तक मनमाफिक नतीजे शायद ही मिलें।