एसएसबी की नवनियुक्त प्रमुख अर्चना रामासुंदरम देश में किसी अर्द्धसैनिक बल की पहली महिला प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि बल सीमा चौकियों में ‘महिला कर्मियों की संख्या बढ़ाने’ और उन्हें अभियानगत मोर्चा दायित्व में लगाने की योजना बना रहा है। महानिदेशक ने कहा, ‘हम न सिर्फ युद्धक भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करने पर भी विचार कर रहे हैं कि सभी कर्मियों को उनके तैनाती स्थल पर अतिरिक्त सुविधाएं मिलें।’
उन्होंने कहा कि बल सरकार के हाल के उस निर्देश के अनुसार निर्धारित समय में लक्ष्य हासिल करने के लिए भी काम कर रहा है जिसमें एसएसबी, बीएसएफ और आइटीबीपी जैसे सीमा प्रहरी बलों में महिला कर्मियों की संख्या कुल संख्या के 33 प्रतिशत करने को कहा गया है। अर्चना रामासुंदरम ने कहा, ‘हमें 21 नई महिला कंपनी (करीब 2,100 कर्मी) गठित करने की अनुमति है। वह कार्य प्रक्रिया में है । समानांतर रूप से, हम सीमा क्षेत्रों, खासकर महिला कर्मियों के संबंध में, जरूरी आधारभूत ढांचा खड़ा करने पर भी काम कर रहे हैं।’
रामासुंदरम ने कहा कि वर्तमान में बल की महिला कर्मी, जिनमें से ज्यादातर की रैंक कांस्टेबल है, न सिर्फ दोनों सीमाओं पर गश्त कर रही हैं, बल्कि सीमा ‘वार्तालाप टीमों’ का भी हिस्सा हैं। यहां कर्मी स्मार्ट सफारी सूट पहनकर रहते हैं और दोनों पड़ोसी देशों से भारत आने वाले लोगों की जामा-तलाशी लेते हंै, दस्तावेजों की जांच करते हैं और जरूरत के अनुसार उनकी मदद की जाती है।
महानिदेशक ने कहा, ‘बल की कमान संभालने के बाद मैंंने कई जगहों का दौरा किया और महिला कर्मियों सहित अपने जवानों से बात की। मैंने महसूस किया कि हम उन्हें अधिक अभियान दायित्वों में लगा सकते हैं।’ एसएसबी में वर्तमान में युद्धक भूमिका में करीब एक हजार महिला कर्मी हैं। महिलाओं को बल में पहली बार 2007 में शामिल किया गया था। बल 1,751 किमी लंबी भारत-नेपाल सीमा व 699 किलोमीटर लंबी भारत-भूटान सीमा की पहरेदारी करता है ।