प. बंगाल चुनाव: सिंगुर में ‘नैनो’ का सपना अब भी बरकरार
जिन लोगों ने कारखाने के लिए अपनी जमीन टाटा को दी थी, वे लोग आज भी सिंगुर नैनो कारखाना बनने का सपना लिए हुए हैं।

सिंगुर आंदोलन के कारण एक के बाद एक चुनाव में हार का मुंह देखने के बावजूद वाममोर्चा नैनो को भूलने के लिए तैयार नहीं। सिंगुर विधानसभा सीट से इस बार माकपा के वरिष्ठ नेता राबिन देव चुनाव लड़ रहे हैं। वे टाटा की नैनो कार के सहारे विधानसभा तक का अपना चुनावी सफर तय करने की जुगत में हैं। वे उस सपने को साकार होता देखना चाहते हैं। दूसरी तरफ सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार व राज्य के मंत्री रवींद्रनाथ भट्टाचार्य अब भी अनिच्छुक किसानों की जमीन वापस करने के मुद्दे के सहारे इस बार भी अपनी गाड़ी को यहां रफ्तार से निकाल पाते हैं। हालांकि ज्यादातर लोगों को उनके वादों पर एतवार नहीं रहा।
मालूम हो कि इसी सिंगुर से राज्य की राजनीतिक छवि में बदलाव आया था। इधर जिन लोगों ने कारखाने के लिए अपनी जमीन टाटा को दी थी, वे लोग आज भी सिंगुर नैनो कारखाना बनने का सपना लिए हुए हैं। वहीं, शारदा चिटफंड घोटाले से नारद स्टिंग आपरेशन के बाद भी सिंगुर के अनिच्छुक किसानों को अपनी ममता पर अभी भी भरोसा है कि वे उनकी ली गई भूमि जरूर वापस करेंगी। राबिन देव का कहना है कि राज्य की जनता पांच वर्षों में ही इस सरकार से पूरी तरह ऊब चुकी है। यहां के लोगों का नैनो कारखाने का सपना जरूर पूरा होगा, क्योंकि इस बार कांग्रेस व वाममोर्चा की सरकार बनेगी। रवींद्रनाथ भट््टाचार्य का कहना है कि आज भी सूबे की जनता को ममता बनर्जी पर पूरा विश्वास है। जिस तरह से उन्होंने सिंगुर के साथ-साथ पूरे राज्य में विकास कार्य किया है, उसे देखते हुए यहां की जनता दोनों हाथों से मुझे आशीर्वाद देगी।