13 साल पहले मिली मंजूरी पर अभी तक पूरा नहीं हुआ नवोदय विद्यालय का निर्माण, केंद्रीय मंत्री ने जताई नाराजगी
केंद्रीय मंत्री ने इस संबंध में एक वीडियो भी शेयर किया है, जहां वो विद्यालय निर्माण स्थल पर अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के साथ नजर आ रहे हैं।

अरुणाचल प्रदेश से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने एक स्कूल को 13 साल पहले मंजूरी मिलने के बाद भी निर्माण कार्य पूरा ना होने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने रविवार (25 अक्टूबर, 2020) को कहा कि मैं खेलोंग (Khelong) में जवाहर नवोदय विद्यालय के निर्माण कार्य में देरी से निराश हूं। इसके निर्माण की मंजूरी साल 2007 में ही दी जा चुकी थी। उन्होंने कहा कि कांट्रेक्टर और दूसरी वजह इसकी देरी की वजह बनी जो अस्वीकार्य हैं।
केंद्रीय मंत्री ने इस संबंध में एक वीडियो भी शेयर किया है, जहां वो विद्यालय निर्माण स्थल पर अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के साथ नजर आ रहे हैं। वीडियो में एक कर्मचारी कहता नजर आता है कि उसने कांट्रेक्टर को बाउंड्री बनाने के लिए कई बार बोला, मगर उसने इसे बाद के लिए टाल दिया। वीडियो में एक शख्स कहता नजर आता है कि सरकार से उन्हें जितना पैसा मिलता है उसका इस्तेमाल नहीं हो पाता है।
इधर वीडियो में किरण रिजिजू कहते नजर आते हैं कि जो भी निर्माण कार्य चल रहा है, वो रुकना ही नहीं चाहिए। पहले ही काफी देरी हो चुकी है। 13 साल हो गए, ये कोई मामूली समय नहीं है। भाजपा नेता के ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स भी जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
ट्विटर यूजर विजय कौल @levoneeight लिखते हैं, ‘क्या इस दुनिया में ये संभव है कि माननीय मंत्री ठेकेदार को ना जानते हों? या कोई सांसद या विधायक हो जो ठेकेदार को ना जानता हो? या वो नेता ये ना जानता हो कि देरी के वास्तविक कारण क्या है? आम लोगों को वास्तविकता जानने दें।’ फ्रांसिस जोसेफ @Francis_Joseph लिखते हैं, ‘शिक्षा को केंद्र में लाने के लिए धन्यवाद।’
I'm very frustrated with the delay in construction of this Jawahar Navodaya Vidyalaya at Khelong which was sanctioned in 2007. Contractor issue and various factors led to such delays which is unacceptable. pic.twitter.com/9djVd5gfnC
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) October 25, 2020
इसी तरह आचार्य छाया @Francis_Joseph नाम से लिखा गया, ‘हर परियोजना की प्रगति के लिए साप्ताहिक आधार पर मंत्रियों द्वारा ऐसी कार्रवाई का पालन किया जाना चाहिए। हमारे मंत्रियों को नहीं मालूम की संगठित तरीके से काम कैसे किया जाए।’ एक यूजर @AmyToor2 लिखते हैं, ‘सर इनके ऊपर निगरानी रखने के लिए आप मुझे मुफ्त में ये नौकरी दे दें।’ भोला सिंह @Bholasij लिखते हैं, ‘आप सात साल के कार्याकल से भी निराश हैं।
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