उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भारी वाहनों की खरीद में उनकी कथित भूमिका को लेकर शिकायत करने वाले कांग्रेस के नेता से गुरूवार को कहा, ‘‘हमें मालूम है कि चुनाव आ रहे हैं।’’ न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने इस टिप्पणी के साथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के के मिश्रा की याचिका खारिज कर दी। मिश्रा ने चौहान के खिलाफ उनकी शिकायत खारिज करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में सबकुछ शीर्ष अदालत के फैसले के दायरे में है और मजिस्ट्रेट को कम से कम उन्हें अपना बयान दर्ज कराने का अवसर देना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि मिश्रा ने मजिस्ट्रेट के समक्ष निजी शिकायत दायर की थी जिन्होंने इसे राज्य के लोकायुक्त के पास भेज दिया। उन्होंने कहा कि जब आप दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 203 (शपथपत्र के साथ दिये गये बयान पर विचार करने के बाद शिकायत निरस्त करने) के स्तर पर जब निजी शिकायत दायर करते हैं तो मजिस्ट्रेट इस बारे में विचार कर सकते हैं।
इस पर पीठ ने कहा कि निचली अदालत और उच्च न्यायालय दोनों ने ही आपकी याचिका खारिज कर दी है। सिब्बल ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने शिकायत खारिज नहीं की बल्कि उसे लोकायुक्त के पास भेज दिया है।

चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि पहले दौर में याचिका खारिज हो जाने के बाद अब यह दूसरे दौर का मुकदमा है। पीठ ने रिकार्ड के अवलोकन के बाद कहा कि मजिस्ट्रेट ने शिकायत अस्वीकार कर दी थी। इसके साथ ही पीठ ने याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। पीठ का रवैया देख सिब्बल ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने उन्हें इसकी अनुमति देते हुये इसे वापस लिया मानते हुये खारिज कर दिया। मिश्रा का आरोप था कि चौहान की पत्नी ने 2006 में कथित रूप से दो दो करोड़ रूपए में चार डंपर वाहन खरीदे थे जबकि 2006 के अप्रैल में चुनाव के दौरान दाखिल उनके हलफनामों के अनुसार उनके बैंक खातों में सिर्फ 2.3 लाख रूपए ही थे।