प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने देश के स्वाधीनता संग्राम का साक्षी रहा साबरमती आश्रम को सजाने संवारने की योजना को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं। अंग्रेजी अखबार दी टेलीग्राफ में छपे उनके लेख में एक ही गुजराती आर्किटेक्ट को लगभग सभी जगह का ठेका देने पर सवाल खड़े किए गए हैं साथ ही आश्रम के कायाकल्प के पीछे पीएम मोदी की छवि चमकाने की कवायद की बात कही गई है। Second Assassination शीर्षक लेख में उन्होंने साबरमती आश्रम में बिताए अपने अनुभवों को साझा करते हुए 2002 में हुए दंगों का जिक्र किया है।
अपने लेख में इतिहासकार ने देश की कई परियोजनाओं को गुजराती आर्किटेक्ट बिमल पटेल को देने पर हैरानी जताई है। वह लिखते हैं कि जब एक शासक, जोकि अपनी बर्बरता के लिए जाना जाता है, वह साबरमती आश्रम जैसे स्मारकों को वर्ल्ड क्लास बनाने की बात कहता है तो कहीं न कहीं अपनी रीढ़ की हड्डी को झुकाता है। इस स्मारक को अपडेट करने के लिए सरकार के पास बिमल पटेल का नाम है, जोकि हैरान करता है। निसंदेह पटेल का काम बेजोड़ हो सकता है लेकिन उनके द्वारा तैयार की गई कंक्रीट की रचनाएं उस खादी कपड़े से बहुत अलग होंगी, जो आश्रम में गांधी के अस्तित्व को चिह्निंत करती है।
सभी सरकारी योजनाओं का काम बिमल पटेल को क्यो?: गुहा के लेख के अनुसार, ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ एक ही आर्किटेक्ट के बारे में सुना है। दिल्ली से लेकर वाराणसी और अहमदाबाद तक सभी सरकारी परियोजनाओं की जिम्मेदारी बिमल पटेल को ही दी गई है। साबरमती आश्रम के मेकओवर का काम भी पटेल को ही सौंपा गया है। इस काम के लिए गुजरात के कुछ सिविल सेवा के अधिकारियों को भी चुना गया है, जोकि पीएम मोदी के खास रहे हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार के अनुसार पीएम मोदी के कुछ खास लोगों द्वारा इसके रि-डेवलपमेंट का खाका तैयार किया गया है, इसमें गांधीवादियों और विद्वानों की कोई राय ही नहीं ली गई है, यहां तक की इस योजना के बारे में आश्रम के ट्रस्टियों को भी अंधेरे में रखा गया है।
‘एक राष्ट्र एक आर्किटेक्ट’: गुहा कहते हैं कि हम ‘एक राष्ट्र एक आर्किटेक्ट’ की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, यदि कोई अरबपति अपनी पसंद के एक ही आर्किटेक्ट से अपनी सभी संपत्तियों का निर्माण करवाता है तो उसमें कोई आपत्ति नहीं की जा सकती है लेकिन अगर टैक्सपेयर्स के पैसों का इस्तेमाल किसी एक ही आर्किटेक्ट द्वारा कराए गए कामों पर खर्च किया जा रहा हो तो इसमें समस्या हो सकती है।
पीएम मोदी की छवि चमकाने की कवायद: गुहा कहते हैं कि मोदी, महात्मा गांधी के प्रति प्रेम या सम्मान के कारण साबरमती आश्रम की कायकल्प नहीं कर रहे हैं बल्कि इसके जरिए वह अपनी छवि को चमकाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनके अतीत को एक बार फिर से नए सिरे से लिखा जा सके। इतिहासकार ने अपने लेख में यह बात भी लिखी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह बात जानते हैं कि अगर दुनिया में अपनी छाप छोड़नी है तो निंदक रुप से गांधी को अपने साथ रखना होगा, क्योंकि आज की स्थिति में भी गांधी दुनिया भर में सबसे ज्यादा सराहे जाने वाले ब्रांड हैं।
कौन है बिमल पटेल: गुजरात के मशहूर आर्किटेक्ट बिमल कुमार की गिनती पीएम मोदी के खास लोगों में होती है। गुजरात में मुख्यमंत्री रहने के दौरान बिमल कुमार को कई बड़ी परियोजनाओं की जिम्मेदारी दी गई, जिसमें अमहदाबाद का रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट, गुजरात हाईकोर्ट, IIM अहमदाबाद शामिल हैं। संसद भवन की नई बिल्डिंग का प्लान भी बिमल पटेल ने ही तैयार किया है।
बदलेगा साबरमती आश्रम का स्वरुप: साबरमती आश्रम को नए रुप में संवारा और सजाया जा रहा है। 35 से 40 एकड़ में फैले इस आश्रम का मूल स्वरुप वैसा ही रहेगा लेकिन आस पास के इलाके को विकास किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर आश्रम के कायाकल्प की इच्छा जताई थी। बताते चलें कि अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम देश- दुनिया के सरकार व गैर सरकारी मेहमानों के आकर्षण का केंद्र रहता है, दुनिया की कई नामी हस्तियां यहां शिरकत कर चुकी हैं।